अवैध और अनुचित हिरासत: हाईकोर्ट ने जमात के पूर्व प्रवक्ता का हिरासत आदेश किया रद्द, सरकार पर लगाया जुर्माना

  • पुलवामा जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को लगी फटकार
  • जम्मू-कश्मीर सरकार को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश
  • 1080 दिनों से अधिक अपनी स्वतंत्रता का नुकसान उठाना पड़ा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-27 09:46 GMT

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के एक पूर्व प्रवक्ता के खिलाफ सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत निवारक अवैध और अनुचित बताते हुए रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने पुलवामा के जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी फटकार लगाई और जम्मू-कश्मीर सरकार को याचिकाकर्ता को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।

हाईकोर्ट ने ये फैसला चौथी बार जिला मजिस्ट्रेट पुलवामा द्वारा 14 सितंबर, 2022 को पारित आदेश पर दिया। उच्च न्यायालय ने पुलवामा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और जिला कलेक्टर (डीएम) को भी फटकार लगाई। अधिकारियों ने चौथे हिरासत आदेश को पारित करने से पहले पीएसए को रद्द करने वाले पिछले आदेशों को पढ़ने की जहमत भी नहीं उठाई। 

यूनिवार्ता के मुताबिक वकील अली मोहम्मद लोन उर्फ ​​एडवोकेट जाहिद अली बनाम जम्मू-कश्मीर सरकार के केस में जस्टिस राहुल भारती की एकल पीठ ने कहा कि यह अदालत यह मानने से बच नहीं सकती कि याचिकाकर्ता की निवारक हिरासत दुर्भावनापूर्ण,अनुचित और अवैध है। तीन अप्रैल को सुनाए गए न्यायालय के आदेश में कहा गया, याचिकाकर्ता को 2019 से मार्च 2024 तक लगातार चार हिरासत आदेशों की अवधि के तहत कुल मिलाकर 1080 दिनों से अधिक की निवारक हिरासत अवधि के दौरान अपनी स्वतंत्रता का नुकसान उठाना पड़ा है।

आपको बता दें याचिकाकर्ता की निवारक हिरासत की प्रक्रिया 3 मार्च, 2019 को उस वक्त शुरू हुई, जब गांदरबल जिले के मजिस्ट्रेट ने उसे जम्मू और कश्मीर पीएसए अधिनियम के तहत हिरासत में लेने का आदेश दिया। इसमें उस पर राज्य की सुरक्षा के लिए हानिकारक तरीके से काम करने के आरोप लगाए गए।आपको बता दें इस कानून में पीएसए अधिकारियों को दो साल तक बिना किसी ट्रायल के किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने की अनुमति देता है। हाईकोर्ट ने जुलाई 2019 में इस हिरासत को रद्द कर दिया।

समाचार एजेंसी यूनीवार्ता ने लिखा है कि रिहाई आदेश के आठ दिन बाद और जब वह अभी भी हिरासत में था, सरकार ने 19 जुलाई, 2019 को उनके खिलाफ एक और पीएसए लगाया, जिसे 3 मार्च, 2020 को अदालत ने फिर से रद्द कर दिया। इस बार निवारक हिरासत को पुलवामा जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किया गया था।सरकार ने 29 जून, 2020 को लोन के खिलाफ तीसरा पीएसए लगाया, जिसे 24 फरवरी, 2021 को कोर्ट ने यह कहते हुए रद्द कर दिया कि याचिकाकर्ता के संबंध में हिरासत आदेश पारित करना पहले के दो हिरासत आदेशों का पर आधारित था और इन्हें खारिज कर दिया गया था।

Tags:    

Similar News