सपा को झटका: मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे पूर्व मंत्री नारद राय ने सपा का साथ छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने का किया ऐलान
- अंतिम चरण में 1 जून को वोटिंग
- बलिया के बड़े नेताओं में शुमार नारद राय
- बहुत भारी और दुखी मन से समाजवादी पार्टी छोड़ रहा हूं-नारद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे पूर्व मंत्री नारद राय ने सपा के छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने का ऐलान कर दिया है। आपको बता दें पूर्वांचल की बलिया लोकसभा सीट पर सातवें और अंतिम चरण में 1 जून को वोटिंग होनी है। चुनाव प्रचार के लिए महज तीन दिन का समय बचा है और वोटिंग में चार दिन बाकी है। गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद बलिया के बड़े नेताओं में शुमार नारद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट साझा किया है।
नारद इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार भी कर रहे थे लेकिन पिछले कुछ दिनों से प्रचार से उनकी दूरी से चर्चे बीजेपी में जाने के भी हो रहे थे।सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उनके पोस्ट से भी नाराजगी झलक रही थी और रही-सही कसर पूरी हो गई अखिलेश यादव की दो दिन पहले बलिया में हुई जनसभा से हो गई।
गृह मंत्री शाह से मुलाकात के बाद निजी न्यूज चैनल आजतक से खास बातचीत में नारद राय सपा प्रमुख अखिलेश यादव को खूब खरी खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि बहुत भारी और दुखी मन से समाजवादी पार्टी छोड़ रहा हूं। नारद राय ने कहा कि 40 साल का साथ था जो आज छोड़ दिया। उन्होंने सपा चीफ अखिलेश यादव पर बेइज्जत करने का आरोप लगाया और कहा कि मेरी गलती यह है कि अखिलेश और मुलायम में मुलायम को चुना। नारद ने कहा कि पिछले सात साल से मुझे लगातार बेइज्जत किया जा रहा था।
नारद राय बलिया सदर विधानसभा सीट से विधायक और यूपी में सपा की सरकारों में मंत्री रहे हैं। उनकी गिनती बलिया के बड़े भूमिहार नेताओं में होती है. ये पहला मौका नहीं है जब नारद का सपा से मोहभंग हुआ हो। खुद को जनेश्वर मिश्रा का शिष्य, राजनारायण की परंपरा का राजनेता बताने वाले नारद राय ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भी पार्टी छोड़ी थी। नारद ने तब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) जॉइन की थी। नारद बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे लेकिन बीजेपी के आनंद स्वरूप शुक्ल से मात मिली।
नारद राय 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा में लौट आए थे। 2022 के चुनाव में वह सपा के टिकट पर मैदान में उतरे। इस बार भी नारद को जीत नसीब नहीं हुई। नारद को बीजेपी के दयाशंकर सिंह ने हरा दिया. लोकसभा चुनाव में भी वह सपा से टिकट के दावेदार थे लेकिन पार्टी ने 2019 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह मस्त को कड़ी टक्कर देने वाले सनातन पाण्डेय पर भरोसा जताया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2017 में मेरा टिकट अखिलेश यादव ने काटा। नारद ने कहा कि 2022 में अखिलेश ने टिकट दिया लेकिन साथ ही साथ मेरी हार का इंतजाम भी कर दिया। उन्होंने दो दिन पहले बलिया में हुई अखिलेश की रैली का जिक्र करते हुए कहा कि मंच पर भी मुझे बेइज्जत किया गया। अखिलेश यादव ने मंच से मेरा नाम तक नहीं लिया। नारद राय ने अमित शाह से मुलाकात के बाद कहा कि अब अपनी पूरी ताकत बीजेपी के लिए लगाएंगे। उन्होंने कहा कि जितना हो सकेगा, उतनी ताकत से बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करेंगे।