यूसीसी पर एनडीए में तकरार, मेघालय के सीएम कॉनराड संगमा ने किया विरोध, बोले - यह देश की संस्कृति के खिलाफ

समान नागरिक संहिता भारत के वास्तविक विचार के विपरीत - संगमा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-01 17:58 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पीएम मोदी ने यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता को लेकर बयान दिया था। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए समान नागरिक संहिता को देशहित में बताया था। अपने संबोधन में पीएम ने कहा था कि, 'एक ही परिवार में दो लोगों के अलग-अलग नियम नहीं हो सकते. ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर कैसे चल पाएगा?'। पीएम के इस बयान के बाद देश की सियासत गरमा गई है। कांग्रेस समेत अधिकांश विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि पीएम ने चुनावी लाभ लेने का यूसीसी का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इसी बीच पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में बीजेपी के सहयोगी दल नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के चीफ और राज्य के सीएम कॉनराड संगमा ने यूसीसी का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि, 'समान नागरिक संहिता भारत के वास्तविक विचार के विपरीत है। भारत एक विविधतापूर्ण देश है और विविधता ही हमारी ताकत है। एक राजनीतिक दल के रूप में, हमें एहसास है कि पूरे पूर्वोत्तर में अनूठी संस्कृति है और हम चाहेंगे कि वह बनी रहे।'

संगमा ने कहा कि, यूसीसी ड्राफ्ट की वास्तविक सामग्री को देखे बिना डिटेल्स में जाना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि बेशक हम नहीं जानते कि अगर बिल आएगा तो किस तरह का होगा। बता दें कि मेघालय में सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने नेशनल पीपुल्स पार्टी को समर्थन दिया था। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल एनपीपी मेघालय विधानसभा चुनाव में 60 सीटों में से 28 जीती थी जबकि बीजेपी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की थी।

क्या है यूसीसी?

यूसीसी लागू होने से सभी धर्मों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, ये जानने से पहले जानते हैं कि आखिर इसका मतलब क्या है। दरअसल, यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता का मतलब है भारत में रहने सभी जाति, धर्म और लिंग के लोगों के लिए एक जैसा कानून होना। अगर यह लागू होता है तो शादी, तलाक और संपत्ति के बंटवारे जैसे अहम विषयों में सभी के लिए एक समान नियम होंगे। बता दें कि देश में अभी तक शादी, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में अलग-अलग धर्मों के उनकी आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग कानून हैं। जैसे हिंदू धर्म के लिए हिंदू पर्सनल लॉ है और मुसलमानों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ। यूसीसी आने के बाद ये निजी कानून खत्म होकर सभी के लिए एक समान कानून लागू हो जाएगा। भारतीय संविधान के नीति निदेशक तत्वों में सम्मिलित यूसीसी संविधान के आर्टिकल 44 का भाग है। जिसके अनुसार, सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू कराना सरकार का फर्ज है।

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