बंगाल में नई रणनीति पर चर्चा: कांग्रेस पुराने साथी टीएमसी के साथ कर सकती है गठबंधन, अटकलों को मिला रहा है बल

  • बंगाल में कांग्रेस लगातार मजबूत साथी की तलाश में
  • टीएमसी के साथ गठबंधन कर सकती है कांग्रेस
  • सियासी गलियारों में अटकलें हुई तेज

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-24 04:20 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस लगातार मजबूत सहयोगी की तलाश में है। पार्टी लगातार राज्य में अपना जनाधार खो रही है। वामदलों के साथ कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में गठबंधन किया है। जिसका फायदा पार्टी को न के बराबर हुआ है। ऐसे में कांग्रेस नए और मजबूत सहयोगी की तलाश में है। माना जा रहा है कि कांग्रेस वामदलों के साथ अपना गठबंधन खत्म कर सकती है। वहीं, कांग्रेस बंगाल की सबसे बड़ी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ नई पारी की शुरुआत कर सकती है।

इस बार के लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने बंगाल में शानदार प्रदर्शन किया है। 42 लोकसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी को 29 सीटें मिली हैं। वहीं, कांग्रेस को केवल एक सीट पर जीत हासिल हुई है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने लेफ्ट मोर्चा के साथ चुनाव लड़ा था। लेकिन, लेफ्ट को राज्य में एक भी सीट नहीं मिली। साथ ही, दोनों पार्टियों के वोट परसेंटेज में भी गिरावट देखी गई है। नतीजे के बाद से ही कांग्रेस और लेफ्ट दोनों ही गठबंधन को लेकर दोबारा सोचने की मांग कर रहे हैं।

लेफ्ट के साथ गठबंधन करने पर नहीं मिला फायदा

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि लेफ्ट के साथ हम विधानसभा और लोकसभा चुनाव दोनों ही लड़ चुके हैं। लेकिन नतीजे में कोई खास अंतर नहीं आया है। ऐसे में पार्टी को नए सिरे से राज्य में रणनीति तैयार करनी होगी। पश्चिम बंगाल में पार्टी के लिए अस्तिव बनाए रखने की भी चुनौती है। ऐसे में टीएमसी जैसी बड़ी पार्टी के साथ कांग्रेस को गठबंधन करना होगा। 

टीएमसी के सामने चुनौती

लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करके टीएमसी ने पूरे देश को संदेश दे दिया है कि वह इतनी आसानी से राज्य में किसी भी पार्टी को टिकने नहीं देगी। आम चुनाव में टीएमसी के दिग्गज नेताओं ने राज्य में पूरी ताकत के साथ प्रचार-प्रसार किया। हालांकि, उसे अब राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव में भी बेहतरीन प्रदर्शन होगा। बीजेपी राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। विपक्ष के रूप में भी बीजेपी लगातार बंगाल में अपने पैर पसार रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने टीएमसी को कड़ी टक्कर दी थी। इसलिए टीएमसी को भी राज्य में किसी सहयोगी की तलाश है। ताकि मजबूत रणनीति के साथ चुनाव को लड़ा जाए। बता दें कि, टीएमसी पहले भी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुकी है। 

गठबंधन पर टीएमसी की राय

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होने पर टीएमसी अधीर रंजन चौधरी को जिम्मेदार ठहराती है। इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने राज्य में अधीर रंजन चौधरी के ही नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। राज्य में अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। बंगाल में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद उन्होंने पद से इस्तीफे की भी पेशकश की। माना जा रहा है कि कांग्रेस अधीर रंजन चौधरी की जगह पर नरम रुख वाले नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकती है। ताकि टीएमसी के साथ नए सिरे से गठबंधन पर चर्चा हो सके। 

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