ईवीएम पर सवाल, चुनाव आयोग पर निशाना: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनावी नतीजों के बाद ईवीएम पर फिर उठाए सवाल, बताया ब्लैक बॉक्स
- रविंद्र वायकर पर लगे आरोपों से जुड़ी खबर को किया शेयर
- पुलिस को मिले हैं ईवीएम से छेड़छाड़ के सबूत
- वाइकर के रिश्तेदारों के पास ईवीएम अनलॉक करने वाला फोन था
- आरोपी के पास ओटीपी प्राप्त करने वाला फोन कैसे आया, जिससे मशीन अनलॉक हो गई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर ईवीएम पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग पर निशाना साधा हैं। राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा,भारत में ईवीएम एक "ब्लैक बॉक्स" है, और किसी को भी उनकी जांच करने की अनुमति नहीं है। हमारी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएँ जताई जा रही हैं। जब संस्थाओं में जवाबदेही की कमी होती है, तो लोकतंत्र एक दिखावा बन जाता है और धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है।
कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिये चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए। उन्होंने अपने पोस्ट में शिवसेना शिंदे गुट के उम्मीदवार रवींद्र वायकर से जुड़ी एक खबर भी शेयर की है। शिंदे पर ईवीएम से छेड़छाड़ कर जीतने का आरोप लगा है।
राहुल गांधी ने जिस खबर को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया है, उसमें लिखा है कि जांच के दौरान, वनराई पुलिस ने पाया कि आरोपी मंगेश पंडिलकर, शिवसेना उम्मीदवार रवींद्र वायकर का रिश्तेदार, जिसने मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से 48 वोटों से जीत हासिल की थी, वह फोन इस्तेमाल कर रहा था, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़ा था। पुलिस ने बताया कि इस मोबाइल फोन का इस्तेमाल ईवीएम मशीन को अनलॉक करने के लिए ओटीपी जनरेट करने के लिए किया गया था, जिसका इस्तेमाल 4 जून को नेस्को सेंटर के अंदर किया गया था। वनराई पुलिस ने आरोपी मंगेश पंडिलकर और दिनेश गुरव को सीआरपीसी 41ए का नोटिस भी भेजा है, जो चुनाव आयोग (ईसी) के साथ एनकोर (पोल पोर्टल) ऑपरेटर था। पुलिस ने अब मोबाइल फोन को फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) में भेज दिया है ताकि मोबाइल फोन का डेटा पता लगाया जा सके और फोन पर मौजूद फिंगर प्रिंट भी लिए जा रहे हैं।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह घटना 4 जून को मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए वोटों की गिनती के दौरान नेस्को सेंटर में हुई। मिड-डे से बात करते हुए वनराई पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक रामपियारे राजभर ने कहा, "हमने मोबाइल फोन को फोरेंसिक के पास भेज दिया है, जो कॉल रिकॉर्ड की जांच करेगा। हम यह भी जांच कर रहे हैं कि मोबाइल फोन का इस्तेमाल किसी और कारण से तो नहीं किया गया। हमने अन्य उम्मीदवारों के बयान दर्ज कर लिए हैं और आरोपी मंगेश पंदिलकर और दिनेश गुरव को नोटिस भेजा गया है। उन्हें जांच के लिए पुलिस स्टेशन आना होगा। वे अभी हमारे साथ सहयोग कर रहे हैं, अगर यह रुका तो हम गिरफ्तारी वारंट जारी करेंगे।
पुलिस के अनुसार, वायकर, अरोड़ा और भरत शाह के साथ सीट से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की शिकायत पर वनराई पुलिस स्टेशन में चुनाव आयोग के अधिकारी ने 14 जून को एफआईआर दर्ज की थी। हमने मोबाइल फोन को फोरेंसिक के पास भेज दिया है, जो कॉल रिकॉर्ड की जांच करेगा। इंस्पेक्टर रामपियारे राजभर एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "अब हम नेस्को केंद्र के सीसीटीवी कैमरों की जांच कर रहे हैं, जिससे हमें यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि 04 जून को नेस्को वोट काउंटिंग सेंटर के बाहर शिवसेना के उम्मीदवार रविंद्र वायकर का मोबाइल फोन कैसे पहुंचा। इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि क्या इस अपराध में और भी आरोपी शामिल हैं या यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह मोबाइल फोन किसने दिया।"
क्या हुआ?
4 जून को मतदान के दिन नेस्को केंद्र के अंदर यह घटना हुई और रविंद्र वायकर तथा उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर मौजूद थे। पुलिस को यह भी पता चला कि सर्विस वोटर के लिए इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट सिस्टम (ईटीपीबीएस) भी है, जिसका इस्तेमाल ईवीएम मशीनों के इस्तेमाल के बाद भी किया जाता है। पोस्टल बैलट सिस्टम को अनलॉक करने के लिए गुरव ने उसी मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया और ओटीपी जेनरेट किया। ईवीएम मशीन के माध्यम से मतों की गिनती के दौरान, उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर आगे थे, लेकिन जब इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट सिस्टम पर वोटों की गिनती हुई, तो कीर्तिकर पीछे हो गए और अंततः वे वायकर से चुनाव हार गए।