विधानसभा चुनाव: छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ -बिलाईगढ़ में बीएसपी की बढ़ती सक्रियता से चिंतित कांग्रेस और बीजेपी

  • सारंगढ़ -बिलाईगढ़ जिले में दो सीट
  • बारी बारी से हर पार्टी को मिलता है मौका
  • 2018 में दोनों सीटों पर जीती थी कांग्रेस

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-25 13:54 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने रायगढ़ से अलग कर सारगंढ़ बिलाईगढ़ को 20 अक्टूबर 2022 को 30 वां नया जिला बनाया। इस नए जिले में दो विधानसभा सीट सारंगढ़ और बिलाईगढ़ है। जिले की दोनों सीट अनुसूचित जाति आरक्षित है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तो 2013 के चुनाव में बीजेपी ने दोनों सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन इलाके में बीएसपी के बढ़ती सक्रियता से कांग्रेस चिंतित है। बीएसपी के बढ़ते दबदबे से अगले चुनाव में देखना है कि कांग्रेस बीजेपी में किसे नुकसान होता है या नफा।

प्राकृतिक धरोहर से संजोए सारंगढ़ जिले के अंचल को मनुष्य जाति के जन्म स्थल के तौर पर देखा जाता है। मानव जाति की आदि सभ्यता यहां पली हुई है। सारंगढ़ गोंड राजाओं का क्षेत्र है, इनके आने से पहले यह इलाका सारंगपुर कहलाता था। कालांतर में ये सारंगपुर से सारंगढ़ हो गया। सारंगढ़ का अर्थ होता है बांस का किला। यहां बांस का घना जंगल हुआ करता था। दूसरे अर्थ में यहां हिरण भी बहुत पाए जाते थे। हिरण को चित्रमृग भी कहा जाता है। और सारंग का अर्थ चित्रमृग होता है। यहां सारंग नामक पक्षी अधिकता में पाए जाते है इसलिए क्षेत्र का नाम सारंगढ़ हो गया।

सारंगढ़ विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से उत्तरी गणपत जांगड़े

2013 में बीजेपी के केराबाई मनहर

2008 में कांग्रेस के शमसेर सिंह

2003 में बीएसपी के कामगा जोल्हे

सारंगढ़ विधानसभा सीट एससी के लिए आरक्षित है। यहां बीएसपी , कांग्रेस और बीजेपी तीनों ही पार्टियां बारी बारी से चुनाव जीत चुकी है। यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता है। तालाबों के शहर सारंगढ़ में तालाबों की हालत खस्ता है।

वैसे को सारंगढ़ को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है लेकिन वक्त बदलने के साथ यहां बीएसपी ने मजबूत पकड़ बनाई है। बीएसपी ने 1998 और 2003 में यहां से चुनाव जीतकर इसे हाथी का दुर्ग बना दिया था। 2008 और 2018 में कांग्रेस और 2013 में बीजेपी ने यहां से जीत दर्ज की थी। यहां किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा, जनता हर बार नये उम्मीदवार पर मुहर लगाती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी यहां तीसरे नंबर पर रही थी। हालांकि बीएसपी चुनाव चिह्न से चुनाव लड़ सके प्रत्याशियों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है, जिनके सहारे बीजेपी गढ़ में मजबूत होना चाहती है। लेकिन आना वाला समय ही बताएंगा कि बीएसपी नेताओं से बीजेपी को कितना फायदा होगा।

अनुसूचित बहुल क्षेत्र होने के साथ ही यह विधानसभा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सुरक्षित है। परिसीमनसे पहले यहाँ बहुजन समाज पार्टी के विधायक निर्वाचित हुए है किन्तु परिसीमन के बाद बरमकेला क्षेत्र का जुडना बीएसपी के लिए नुकसानदेह साबित हुआ। पांच साल में जनता नेता बदलती रहती है। सारंगढ़ में शिक्षा, सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी काम होना बाकी है। स्टोन क्रेशर से प्रदूषण बढ़ रहा है।

बिलाईगढ़ विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस के चंद्रदेव राय

2013 में बीजेपी के डॉ समन

2008 में डॉ शिव कुमार डहरिया

बिलाईगढ़ विधानसभा सीट एससी के लिए आरक्षित है। यहां 40 फीसदी एससी ,50 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी एसटी और अन्य है। 2018 में कांग्रेस को यहां जीत मिली थी, लेकिन बीएसपी को भी अच्छा खासा वोट मिला था ,जबकि बीजेपी तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी। इलाके में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से लोग परेशान है। शिक्षा और स्वास्थ्य बदतर स्थिति में है। सिंचाई संसाधनों की कमी है। रेत अवैध उत्खनन यहां की प्रमुख समस्या है।

छत्तीसगढ़ का सियासी सफर

1 नवंबर 2000 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के अंतर्गत देश के 26 वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई। शांति का टापू कहे जाने वाले और मनखे मनखे एक सामान का संदेश देने वाले छत्तीसगढ़ की सियासी लड़ाई में कई उतार चढ़ाव देखे। छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीट है, जिनमें से 4 अनुसूचित जनजाति, 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।

विधानसभा सीटों की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीट है,इसमें से 39 सीटें आरक्षित है, 29 अनुसूचित जनजाति और 10 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, 51 सीट सामान्य है। प्रथम सरकार के रूप में कांग्रेस ने तीन साल तक राज किया। राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने। तीन साल तक जोगी ने विधानसभा चुनाव तक सीएम की कुर्सी संभाली थी। पहली बार विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी की सरकार बनी। उसके बाद इन 23 सालों में 15 साल बीजेपी की सरकार रहीं। 2003 में 50,2008 में 50 ,2013 में 49 सीटों पर जीत दर्ज कर डेढ़ दशक तक भाजपा का कब्जा रहा। बीजेपी नेता डॉ रमन सिंह का चौथी बार का सीएम बनने का सपना टूट गया। रमन सिंह 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा कार्यकाल में सीएम रहें। 2018 में कांग्रेस ने 71 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई और कांग्रेस का पंद्रह साल का वनवास खत्म हो गया। और एक बार फिर सत्ता से दूर कांग्रेस सियासी गद्दी पर बैठी। कांग्रेस ने भारी बहुमत से जीत हासिल की और सरकार बनाई।

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