मुस्लिम विवाह और तलाक अधिनियम: कांग्रेस पर फिर हमलावर हुए सीएम हिमंता बिस्व सरमा, बोले - 'जब तक जिंदा हूं, नहीं होने दूंगा छोटी बच्चियों का विवाह'
- मुस्लिम विवाह और तलाक अधिनियम पर गरमाई सियासत
- सीएम हिमंत बिस्व सरमा कांग्रेस पर हुए हमलावर
- बोले - राज्य में नहीं होने देंगे छोटी बच्चियों की जिंदगी से खिलवाड़
डिजिटल डेस्क, गोवाहाटी। असम सरकार की ओर से मुस्लिम विवाह और तलाक अधिनियम को निरस्त करने की मंजूरी देने के बाद राज्य में सियासत गरमा गई है। सरकार के इस फैसले का विरोध करने वाली कांग्रेस पर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने एक बार फिर हमला किया है। उन्होंने सदन में कहा कि कांग्रेस के लोग ये अच्छी तरह से समझ लें कि जब तक वो जिंदा हैं, तब तक राज्य में छोटी बच्चियों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं होने देंगे।
बंद करेंगे बेटियों को बर्बाद करने वाली दुकान
सीएम ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने विधानसभा सत्र का एक वीडियो साझा करते हुए कहा, "कांग्रेस के लोग सुन लें, जब तक मैं, हिमंता बिस्वा सरमा जिंदा हूं, तब तक असम में छोटी बच्चियों का विवाह नहीं होने दूंगा। आप लोगों ने मुस्लिम समुदाय की बेटियों को बर्बाद करने की जो दुकान खोली है उन्हें पूरी तरह से बंद किए बिना हम चैन से नहीं बैठेंगे।"
दरअसल, सीएम हिमंता बिस्व सरमा ने साल 2026 तक असम में बाल विवाह को पूरी तरह से खत्म करने का संकल्प लिया है। उन्होंने विधानसभा में कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, "मैं आप लोगों को राजनीतिक रूप से चुनौती देता हूं कि मैं इस दुकान को 2026 तक बंद कर दूंगा।" बता दें कि सीएम बिस्वा पहले भी असम से बाल विवाह को पूरी तरह से खत्म करने की बात कह चुके हैं।
लोग कहते हैं हम मुस्लिम विरोधी हैं लेकिन....
इससे पहले सीएम ने कहा था कि "असम में बाल विवाह खत्म करने के लिए राज्यव्यापी मिशन शुरू किया जाएगा, जिसमें लगभग 200 करोड़ रुपयों का खर्च आएगा। कुछ लोग कहते हैं कि हम मुस्लिम विरोधी हैं लेकिन तीन तलाक, बाल विवाह और बहुविवाह को खत्म करने के लिए हमने कांग्रेस से ज्यादा काम किया है।"
बता दें कि बीते शुक्रवार को असम सरकार ने बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए बड़ा फैसला लिया था। सरकार ने मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण कानून 1935 खत्म कर दिया था। कैबिनेट बैठक में लिए गए इस फैसले के बारे में सीएम हिमंता ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी थी। जिसमें उन्होंने लिखा था, '23 फरवरी को असम कैबिनेट ने एक अहम फैसला लेते हुए वर्षों पुराने असम मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण कानून को वापस ले लिया गया है। इस कानून में ऐसे प्रावधान थे कि अगर दूल्हा और दुल्हन शादी की कानूनी उम्र यानी लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल के नहीं हुए हैं, तो भी शादी को पंजीकृत कर दिया जाता था। यह असम में बाल विवाह रोकने की दिशा में अहम कदम है।'