लोकसभा चुनाव 2024: अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार श्रीनगर संसदीय क्षेत्र में बंपर वोटिंग

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-15 03:39 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार और पहले चुनाव में कश्मीरी मतदाताओं ने श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में वोट डाले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने माना है कि यह कश्मीर में लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव था। बीते सोमवार को यहां मतदान हुआ। साल 2019 में 14 फीसदी मतदान के मुकाबले सोमवार को 38 फीसदी से अधिक मतदान दर्ज किया गया। मतदान का अधिक वोट परसेंट ये संकेत देते हैं कि 35 सालों से अधिक समय तक हिंसा के बादलों से घिरे रहने के बाद देश के लोकतंत्र में आशा और विश्‍वास का उज्ज्वल सूरज कश्मीर के राजनीतिक क्षितिज पर फिर से उगने लगा है।

श्रीनगर में मतदान का असर बारामूला और अनंतनाग लोकसभा क्षेत्रों में मतदान पर पड़ने की संभावना है, जहां क्रमशः 20 मई और 25 मई को मतदान होगा। चुनाव आयोग ने साबित कर दिया है कि 2019 के बाद वोट देने के अधिकार से वंचित रहने के बावजूद कश्मीर के लोगों का देश के लोकतंत्र में अटूट भरोसा है। अलगाववादी हिंसा की छिटपुट घटनाएं छिटपुट हो सकती हैं, जैसे कि पिछले पांच वर्षों के दौरान समय समय पर होती रही हैं, लेकिन बड़ी तस्वीर यह है कि कश्मीर के लोगों ने भारतीय लोकतंत्र में अपने विश्‍वास की फिर से पुष्टि की है। 

श्रीनगर के पुराने शहर के इलाकों में मतदान करने आए लोगों में सबसे अधिक उत्साह भी देखा गया। ये क्षेत्र कश्मीर में अलगाववादी भावना के उद्गम स्थल और गढ़ के रूप में जाने जाते थे। श्रीनगर जिले के सभी आठ विधानसभा क्षेत्र बीते काल में पूर्ण मतदान का बहिष्कार हो चुका है। वहीं बीते सोमवार को इन्हीं इलाकों में 8 विधानसभा क्षेत्रों में 1.77 लाख मतदाता मतदान के लिए निकले। 

आईएएनएस न्यूज एजेंसी के मुताबिक एक स्थानीय व्यवसायी, रफीक अहमद ने यह साबित करने के लिए अपनी उंगली दिखाई कि उसने पुराने श्रीनगर शहर के अंदरूनी इलाकों में से एक में अपना वोट डाला। उसने कहा, “कोई भी उस लोकतांत्रिक प्रणाली से बाहर नहीं रह सकता, जो उसे अपना राजनीतिक भाग्य तय करने का अधिकार देती है।

बढ़ती वोटिंग को लेकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के वकील उमर राशिद ने कहा लोकतंत्र की मूल भावना यह नहीं है कि कौन हारता है और कौन जीतता है। लोकतंत्र की मूल भावना यह है कि लोग चुनने या नामंजूर करने के अपने हक की हिफाजत के लिए सिस्टम और चुनाव आयोग पर भरोसा करते हैं

आपको बता दें कश्मीर में लोगों के विभिन्न वर्गों और राजनीतिक दलों के बीच राय और दृष्टिकोण में मतभेद हो सकता हैं, फिर भी उनमें से किसी को भी इस तथ्य के बारे में कोई गलतफहमी नहीं है कि वे किसी भी पार्टी को वोट दे सकते हैं। पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं ने भी इस बार उत्साह के साथ मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लिया। 

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