लोकसभा चुनाव 2024: लोकसभा चुनाव से पहले 'इंडिया गठबंधन' से फारूख अब्दुल्ला का किनारा, खुद के दम पर चुनाव लड़ने की कही बात
- फारूक अब्दुल्ला ने छोड़ा इंडिया एलयांस
- मीडिया से बातचीत में दिया बयान
- खुद के दम पर चुनाव लड़ने की कही बात
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस साल के लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दलों बनाए गए 'इंडिया गठबंधन' में फूट पड़ती ही जा रही है। गठबंधन से एक के बाद एक सभी सहयोगी दल दूरी बना रहे हैं। इस बीच जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भी इंडिया गठबंधन से किनारा कर लिया है। उन्होंने इस बात की घोषणा भी कि आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरेगी।
फारूक अब्दुल्ला ने दिया बयान
न्यूज एजेंसी की खबर के अनुसार, हाल ही में अबदुल्ला फारूख से मीडियाकर्मियों ने इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर सवाल किया था। जिसके जवाब में उन्होंने कहा, "जहां तक सीट शेयरिंग का सवाल है तो मैं एक बात क्लियर कर देता हूं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस अपने बल-बूते प चुनाव लड़ेगी, इसमें कोई दो राय नहीं है।" इसके बाद फारूक ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने की संभावना भी जताई थी।
इंडिया गठबंधन से विपक्षी दलों की दूरी
देखा जाए तो इंडिया अलायंस की मुश्किलें बिहार में सीएम नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद से ही बढ़ गई थीं, जो अब थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व वाले एलयांस की हालात यह हो गई है कि अब उसका सहयोगी दल रालोद भी गठबंधन छोड़कर, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में जाकर शामिल हो गया है। वहीं बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पहले ही आगामी चुनाव में अकले लड़ने की घोषणा कर दी है। जबकि, सीट शेयरिंग मुद्दे को लेकर ममता बनर्जी की टीएमसी और अरविंद केजरीवाल की आप एलायंस से पहले ही एग्जिट ले चुकी हैं।
सपा की भी इंडिया गठबंधन से रार
इंडिया अलयांस में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर विपक्ष के कई दलों का पेंच फंसा हुआ है। उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की इंडिया गठबंधन से सीट शेयरिंग पर आपसी सहमति नहीं हो पा रही है। जिसके चलते सपा ने कांग्रेस के सामने सिर्फ 11 सीट देने का प्रस्ताव रखा है। इस लिहाज से देखा जाए तो भाजपा और केंद्र सरकार को सत्ता से हटाने के लिए 28 विपक्षी दलों वाले इंडिया गठबंधन में दरार बढ़ती जा रही है। हैरानी की बात यह है कि पहले नीतीश कुमार ने गठबंधन में विपक्षी दलों को जोड़ने की अगुवाई की। फिर, बाद में एनडीएम में जाकर सबको चौंका दिया।