अधिकार: बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी मोहम्मद यूनुस सरकार पर अमेरिकी सांसद
अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने कहा कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम बांग्लादेशी सरकार पर देश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की रक्षा की जिम्मेदारी है।
वाशिंगटन, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने कहा कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम बांग्लादेशी सरकार पर देश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की रक्षा की जिम्मेदारी है।
कांग्रेस सदस्य ब्रैड शेरमन ने मंगलवार को एक बयान में कहा, "बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का यह पूर्ण दायित्व है कि वह अपने हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा करे और हाल में हुए हमलों और उत्पीड़न के विरोध में हजारों अल्पसंख्यक हिंदुओं के विरोध प्रदर्शन का सार्थक ढंग से समाधान करे।"
शेरमन ने कहा कि वह बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पतन से पहले और उसके बाद हुए हिंसक दंगों के दौरान हुई हत्याओं और अन्य अधिकारों के उल्लंघन के लिए जांच की मांग के समर्थन में हैं। यह मांग बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क की तरफ से की गई है।
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि वर्तमान प्रशासन को हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा के कृत्यों को खत्म करने मजबूती का प्रदर्शन करना चाहिए।
वीकेंड में, बांग्लादेश के हिंदुओं ने पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई और बांग्लादेश के हिंदुओं की सुरक्षा की मांग करते हुए व्हाइट हाउस के बाहर एक रैली आयोजित की थी।
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के बारे में लोकसभा में लिखित प्रश्नों का उत्तर देते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि ढाका में भारतीय उच्चायोग हालात पर बारीकी से नजर रख रहा है। उन्होंने दोहराया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी पड़ोसी देश की अंतरिम सरकार की है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "इस मामले पर हमारी स्थिति स्पष्ट है - ढाका में अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। हम चरमपंथी बयानबाजी में बढ़ोतरी, हिंसा और उकसावे की बढ़ती घटनाओं से चिंतित हैं। इन घटनाओं को केवल मीडिया द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना नहीं माना जा सकता।"
चरमपंथी बयानबाजी पर चिंता व्यक्त करते हुए, विदेश मंत्रालय ने धार्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास के मामले में 'निष्पक्ष, न्यायसंगत और पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया' की अपील की। दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
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