शिक्षा: सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में बदलावकारी हो सकते हैं ग्लोबल साउथ के विश्वविद्यालय जेजीयू कुलपति
ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) के संस्थापक कुलपति प्रो. (डॉ.) सी. राजकुमार ने यहां एकेडमिक काउंसिल ऑफ द यूनाइटेड नेशन्स सिस्टम (एसीयूएनएस) की वार्षिक बैठक को संबोधित किया। उन्होंने बैठक में 'सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में ग्लोबल साउथ के विश्वविद्यालयों की भूमिका' विषय पर एक कीनोट भाषण दिया।
टोक्यो, 26 जून (आईएएनएस)। ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) के संस्थापक कुलपति प्रो. (डॉ.) सी. राजकुमार ने यहां एकेडमिक काउंसिल ऑफ द यूनाइटेड नेशन्स सिस्टम (एसीयूएनएस) की वार्षिक बैठक को संबोधित किया। उन्होंने बैठक में 'सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में ग्लोबल साउथ के विश्वविद्यालयों की भूमिका' विषय पर एक कीनोट भाषण दिया।
डॉ. राज कुमार ने अपने संबोधन में बताया कि अगले छह साल में एजेंडा 2030 को हासिल करना कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि सभी हितधारकों, सरकारों तथा कंपनियों के लिए रणनीतिक नीतियां तैयार कर उन पर काम करना कितना जरूरी है ताकि एसडीजी को हासिल करने में वे सीधे योगदान दे सकें और ज्वलंत वैश्विक मुद्दों का समाधान कर सकें।
उन्होंने कहा, "मानव विकास के लिए ज्ञान सृजन और वितरण, नवाचार, अत्याधुनिक शोध, इंटरैक्टिव लर्निंग, और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना जरूरी है। विश्वविद्यालय और अन्य उच्च शिक्षण संस्थान इन महत्वपूर्ण कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच हो सकते हैं।"
आवश्यक महत्वपूर्ण कदमों के बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ. राज कुमार ने कहा, "भारत और ग्लोबल साउथ के विश्वविद्यालय 10 मुख्य बिंदुओं में सभी 17 एसडीजी की प्राप्ति में योगदान दे सकते हैं। विश्वविद्यालयों की प्राथमिक भूमिका अनुभव आधारित शिक्षण, क्लीनिकल कार्यक्रमों, बड़ी परियोजनाओं में और सामुदायिक स्तर पर भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करते हुए पाठ्यक्रम के भीतर प्रासंगिक विषयों और चुनौतियों को शामिल करके छात्रों को परिवर्तन का दूत बनने के लिए सशक्त बनाना है।
"गरीबी के दुष्चक्र को तोड़ने के लिए वित्तीय सहायता और छात्रवृत्ति प्रदान करना, परोपकार को बढ़ावा देना और सार्वजनिक शिक्षा में निवेश करने के लिए सरकार को नीतिगत सिफारिशें प्रदान करना आवश्यक है। सभी के लिए समानता सुनिश्चित करने के लिए संस्थानों की दोहरी जिम्मेदारी है कि वे समान अवसर और निष्पक्ष व्यवहार वाले समावेशी प्रशिक्षण केंद्र के साथ-साथ ऐसे कार्यस्थल के उदाहरण बनें।
"ज्ञान सृजन और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े स्कॉलरशिप, तथा समाज के साथ जुड़कर जागरूकता बढ़ाकर विश्वविद्यालय अच्छे स्वास्थ्य और आरोग्य के लक्ष्य को हासिल करने में मददगार हो सकते हैं।
"इसके अलावा, धरती पर जीवन के संरक्षण तथा जलवायु परिवर्तन की दिशा में काम करने के लिए विश्वविद्यालयों को पर्यावरण पर शोध पर निवेश करना चाहिए और सस्टेनेबल प्रैक्टिस के लिए स्थानीय संस्कृति से जुड़ना चाहिए। उन्हें कार्बन फुटप्रिंट कम करके और अपने परिसरों में जैवविविधता के संरक्षण के लिए अभ्यारण्य बनाकर बदलाव का कारण बनना चाहिए।
"विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम, अनुसंधान के एजेंडा, टिकाऊ बुनियादी ढांचा, परिसर के भीतर आयोजनों, आम लोगों के साथ संस्थान के जुड़ाव संस्थान के पर्यावरणीय फुटप्रिंट के जरिये व्यक्तिगत सजगता पैदा कर सकते हैं। साफ पानी और खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य की दिशा में काम करते हुए विश्वविद्यालयों को सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करने की अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करना चाहिए, और अपने परिसरों में जल संरक्षण तथा खाद्य सुरक्षा की परंपरा को बढ़ावा देना चाहिए।
"आम लोगों और उद्योगों के टिकाऊ आर्थिक विकास के लिए विश्वविद्यालयों को ऐसे परिवर्तनीय पाठ्यक्रम बनाने चाहिए जो बाजार में आ रहे बदलावों के अनुकूल हों, उद्योगों के साथ भागीदारी करनी चाहिए, और नवाचार तथा एंटरप्रेन्योरशिप के लिए इनक्यूबेटर की तरह काम करना चाहिए। शांति एवं न्याय की वकालत करने के लिए शिक्षण संस्थानों को एकेडमिक निष्पक्षता को ऊपर रखते हुए विभिन्न पहलुओं और सच्चाई का वस्तुनिष्ठ तरीके से, बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप या सेंसरशिप के चित्रण करना चाहिए ताकि लोगों की सामाजिक एवं राजनीतिक सोच में जागरूकता का समावेश किया जा सके।
"भागीदारी की दिशा में काम करते हुए, खासकर दक्षिण-दक्षिण भागीदारी की दिशा में, विश्वविद्यालय कंसोर्टियम, रिसर्च नेटवर्क का निर्माण कर सकते हैं, साझा चुनौतियों के समाधान पेश कर सकते हैं, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दे सकते हैं, और नीतियों में बदलाव पर प्रभाव छोड़ सकते हैं।
इस साल एसीयूएनएस की वार्षिक बैठक ऐसे समय में हो रही है जब जेजीयू ने हाल ही में अपनी सस्टेनेबल डेवलपमेंट रिपोर्ट पेश की है जो अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है। इसमें यह दिखाया गया है कि कैसे एक विश्वविद्यालय अपनी शैक्षिक गतिविधियों, शोध, प्रबंधन, नौकरियों के अवसर प्रदान करने, भर्ती में समान अवसर प्रदान करने, स्वास्थ्य मानकों की स्थापना और रखरखाव, सार्वजनिक सेवा प्रदान करने, स्थानीय समुदायों के लिए समर्थन, लैंगिक जागरूकता का निर्माण, परिसर में और उसके बाहर पर्यावरण संरक्षण नीतियों को अपनाने और अन्य सतत गतिविधियों के माध्यम से विभिन्न विशिष्ट एसडीजी की उपलब्धि में सीधे और प्रभावी रूप से योगदान दे सकता है।
जेजीयू सतत विकास रिपोर्ट एसीयूएनएस के निवर्तमान अध्यक्ष और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के लिसे हॉवर्ड प्रोफेसर, आगामी अध्यक्ष डॉ. फ्रांज बाउमन, 2024 एसीयूएनएस वार्षिक बैठक के दो सह-मेजबान, टोक्यो में यूनाइटेड नेशन्स यूनिवर्सिटी के रेक्टर प्रोफेसर चिलिद्ज़ी मारवाला तथा टोक्यो यूनिवर्सिटी के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के वाइस डीन प्रोफेसर अत्सुको कावाकिता और एसीयूएनएस वार्षिक बैठक में मौजूद प्रोफेसरों, शोधकर्ताओं, कार्यकर्ताओं और अन्य प्रतिभागियों को प्रस्तुत की गई।
एसीयूएनएस की वार्षिक बैठक में ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व विभिन्न स्कूलों के 15 संकाय सदस्यों ने किया, जिन्होंने विभिन्न पैनलों में अपने नवीनतम शोध प्रस्तुत किए।
जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के वाइस डीन और एसीयूएनएस सर्वश्रेष्ठ शोध प्रबंध पुरस्कार समिति के वर्तमान अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. वेसलिन पोपोवस्की ने दो विजेताओं - रेबेका येमो (मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी) और जोहान्स शेर्ज़िंगर (ज़्यूरिख यूनिवर्सिटी) को 2024 के सर्वश्रेष्ठ शोध प्रबंध पुरस्कार प्रदान किए।
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