कूटनीति: इजरायल-लेबनान युद्धविराम यूएन चीफ की सभी पक्षों से समझौते को तेजी से लागू करने की अपील
संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध विराम घोषणा का स्वागत किया है। युद्ध विराम लेबनान में स्थानीय समयानुसार बुधवार सुबह 4 बजे (02:00 जीएमटी/सुबह 7:30 बजे भारतीय समय) लागू हो गया।
संयुक्त राष्ट्र, 27 नवंबर (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध विराम घोषणा का स्वागत किया है। युद्ध विराम लेबनान में स्थानीय समयानुसार बुधवार सुबह 4 बजे (02:00 जीएमटी/सुबह 7:30 बजे भारतीय समय) लागू हो गया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सभी पक्षों से इस समझौते के तहत की गई अपनी प्रतिबद्धताओं का पूरी तरह से सम्मान करने और उन्हें तेजी से लागू करने की अपील की।
यूएन प्रमुख ने अपने प्रवक्ता के जरिए जारी एक वक्तव्य में उम्मीद जताई कि यह समझौता "उस हिंसा, विनाश और पीड़ा को समाप्त कर सकता है, जिसका सामना दोनों देशों के लोगों को करना पड़ रहा है।"
उन्होंने सभी पक्षों से सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 (2006) पर पूरी तरह से अमल किए जाने की दिशा में तत्काल कदम उठाने की अपील की।
लेबनान के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक जीनिन हेनिस-प्लास्चर्ट ने मंगलवार को कहा कि यह समझौता एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया का प्रारंभिक बिंदु है, जो प्रस्ताव 1701 (2006) के पूर्ण रूप से लागू होने पर आधारित है, ताकि ब्लू लाइन के दोनों ओर के नागरिकों को वह सुरक्षा और संरक्षा बहाल की जा सके जिसके वे हकदार हैं।
हेनिस-प्लास्चर्ट ने कहा कि समझौते को कायम रखने के लिए अभी बहुत काम करना बाकी है। उन्होंने कहा, "दोनों पक्षों की ओर से पूरी और अटूट प्रतिबद्धता से कम कुछ भी नहीं चाहिए।" उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि प्रस्ताव 1701 (2006) के केवल चुनिंदा प्रावधानों को लागू करने की यथास्थिति, जबकि दूसरों को दिखावटी समर्थन देना, पर्याप्त नहीं होगा।"
यूएन अधिकारी ने कहा, "अब समय आ गया है कि ठोस कार्रवाई के माध्यम से आज की उपलब्धियों को और मजबूत किया जाए।"
इससे पहले मंगलवार को यूएस प्रेसिडेंट ने कहा कि इजरायल और लेबनान के बीच हुए युद्ध विराम समझौते के बाद लेबनानी सेना एक बार फिर अपने क्षेत्र पर कब्जा कर लेगी। उन्होंने कहा, "अगले 60 दिनों में, इजरायल धीरे-धीरे अपनी बाकी सेना और नागरिकों को वापस बुला लेगा - दोनों पक्षों के नागरिक जल्द ही सुरक्षित रूप से अपने समुदायों में वापस लौट सकेंगे और अपने घरों का पुनर्निर्माण शुरू कर सकेंगे।"
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