लोकसभा चुनाव 2024: रायबरेली में राहुल को घेरेगी भाजपा, उत्तर भारतीयों पर उनके 'कटाक्ष' को बड़ा मुद्दा बनाएगी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी परंपरागत सीट अमेठी की बजाय इस बार रायबरेली से उम्मीदवारी का पर्चा भरकर भले ही सबको चौंका दिया हो, लेकिन, भाजपा इसे अपने लिए एक बड़े मुद्दे के तौर पर देख रही है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-03 13:25 GMT

नई दिल्ली, 3 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी परंपरागत सीट अमेठी की बजाय इस बार रायबरेली से उम्मीदवारी का पर्चा भरकर भले ही सबको चौंका दिया हो, लेकिन, भाजपा इसे अपने लिए एक बड़े मुद्दे के तौर पर देख रही है।

दरअसल, राहुल गांधी 2019 का लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश के अमेठी और केरल के वायनाड दोनों सीटों से लड़े थे। उन्हें वायनाड से तो जीत हासिल हुई थी। लेकिन, अमेठी में उन्हें भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था।

इस बार उन्होंने केरल के वायनाड सीट पर मतदान हो जाने तक दूसरी सीट को लेकर कोई पत्ते नहीं खोले और शुक्रवार को कांग्रेस ने इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी कि राहुल गांधी की दूसरी सीट इस बार अमेठी नहीं बल्कि रायबरेली होगी।

भाजपा राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जाने, धर्म के आधार पर मुस्लिमों को आरक्षण देने और गांधी परिवार के करीबी सैम पित्रोदा के विरासत कर वाले बयान को लेकर पहले से ही राहुल गांधी को घेर रही थी और अब रायबरेली से उनके नामांकन ने भाजपा के हाथ में कई नए मुद्दे भी थमा दिए हैं।

बताया जा रहा है कि भाजपा नेता आने वाले दिनों में राहुल गांधी को उनके पुराने बयान की याद दिलाते हुए यह पूछते नजर आएंगे कि अब अमेठी, रायबरेली और उत्तर भारत के राज्यों के लोगों की राजनीतिक समझ को लेकर राहुल गांधी के विचार क्या हैं? भाजपा राहुल गांधी को उनके उस बयान की याद अब बार-बार दिलाएगी, जो उन्होंने केरल विधानसभा चुनाव के समय दिया था कि उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत के लोगों की राजनीतिक समझ बेहतर है।

वैसे तो भाजपा की तरफ से योगी सरकार के वर्तमान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह रायबरेली से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन, भाजपा उनके अमेठी से चुनाव नहीं लड़ने के फैसले को गांधी परिवार के डर से जोड़कर देशव्यापी मुद्दा बनाने की भी कोशिश करेगी। गांधी परिवार- सोनिया गांधी और राहुल गांधी के डर के मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर भाजपा देशभर में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के मनोबल को तोड़ने के साथ ही बार-बार जनता को भी यह राजनीतिक संदेश देने का प्रयास करेगी कि भाजपा जीत रही है और 400 पार के साथ देश में लगातार तीसरी बार एनडीए गठबंधन की सरकार बनने जा रही है।

भाजपा की तरफ से स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की धरती से इस अभियान की शुरुआत भी कर दी है। पीएम मोदी ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की एक चुनावी रैली में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के डरने का दावा करते हुए दोनों नेताओं पर जमकर कटाक्ष किया।

पीएम मोदी ने कहा कि देश बता रहा है कि परिणाम साफ है। अबकी बार फिर से मोदी सरकार बनने जा रही है। कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं कर पाई और वह डर के मारे राजस्थान भाग गईं और वहां से राज्यसभा में आई हैं। शहजादे वायनाड में हारने वाले हैं और हार के डर से मतदान समाप्त होते ही वे रायबरेली पहुंच गए हैं क्योंकि वे अमेठी से भी डरे हुए हैं। ये दोनों बातें उन्होंने चुनाव से कई महीने पहले ही संसद में बता दिया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता सबसे कहते हैं कि- डरो मत लेकिन यही बात वे उनसे कह रहे हैं कि डरो मत, भागो मत। कांग्रेस इस बार पहले से भी कम सीटों पर लड़ रही है और कम ही सीटों पर सिमटने जा रही है।

वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कर्नाटक की एक रैली में तंज कसते हुए कहा कि राहुल गांधी को रायबरेली से लॉन्च करने की सोनिया गांधी की कोशिश फिर से असफल होने जा रही है और राहुल गांधी वहां से भी भाजपा उम्मीदवार से चुनाव हारने जा रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री और 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी को चुनाव हरा चुकी स्मृति ईरानी (जो इस बार भी अमेठी से ही भाजपा उम्मीदवार हैं) ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस ने पहले ही अमेठी से अपनी हार स्वीकार कर ली है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अमेठी से चुनाव लड़ रही स्मृति ईरानी रायबरेली में भी राहुल गांधी के खिलाफ जोरदार प्रचार अभियान चलाती नजर आएंगी।

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