बॉलीवुड: थिएटर ने मुझे सब कुछ सिखाया, यह मेरा पहला शिक्षक पंकज त्रिपाठी
मशहूर अभिनेता पंकज त्रिपाठी को अरुणाचल रंग महोत्सव 2024 के लिए फेस्टिवल एंबेसडर नियुक्त किया गया है। इससे वह बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया कि थिएटर उनके दिल में बसता है और यह उनका पहला शिक्षक है।
मुंबई, 22 नवंबर (आईएएनएस)। मशहूर अभिनेता पंकज त्रिपाठी को अरुणाचल रंग महोत्सव 2024 के लिए फेस्टिवल एंबेसडर नियुक्त किया गया है। इससे वह बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया कि थिएटर उनके दिल में बसता है और यह उनका पहला शिक्षक है।
पूर्वोत्तर भारत में अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच महोत्सव का आगाज 22 नवंबर से होगा और ये 5 दिसंबर तक चलेगा। जिसमें अरुणाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और रचनात्मक प्रतिभा का जश्न मनाया जाएगा। इस महोत्सव में पंकज त्रिपाठी अपनी पत्नी मृदुला के साथ शामिल होंगे।
पंकज त्रिपाठी ने कहा कि अरुणाचल रंग महोत्सव 2024 के फेस्टिवल एंबेसडर के रूप में इससे जुड़ना मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है। रंगमंच मेरे दिल में एक बहुत ही खास जगह रखता है, क्योंकि यह मेरा पहला शिक्षक था, ये मेरा पहला प्यार था।
पंकज त्रिपाठी की कला यात्रा बिहार के गोपालगंज के छोटे से गांव बेलसंड से शुरू हुई, जहां उन्होंने नुक्कड़ नाटकों और थिएटर के माध्यम से अपने कौशल को निखारा। इसके बाद वह अपने हुनर को निखारने के लिए नई दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) गए।
पंकज त्रिपाठी ने बताया कि आज वह जो कुछ भी हैं, वह रंगमंच और गोपालगंज में खेले गए नुक्कड़ नाटकों की बदौलत हैं। गांव में खेले गए नाटकों ने मुझे कहानी कहने की कला के प्रति जुनूनी बनाया।
उन्होंने आगे कहा कि अरुणाचल रंग महोत्सव जैसे उत्सव को देखना, विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश के सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और जीवंत क्षेत्र में रंगमंच की शक्ति और सुंदरता का जश्न मनाना, प्रेरणादायक है। यह मंच न केवल क्षेत्र की पारंपरिक और समकालीन प्रदर्शन कलाओं का सम्मान करता है, बल्कि दुनिया भर के कलाकारों को अपने काम को प्रदर्शित करने के लिए एक गतिशील स्थान भी प्रदान करता है।
अभिनेता ने कहा कि वह अरुणाचल के लोकगीत, परंपराओं, मार्शल आर्ट रूपों और स्थानीय कलाओं को करीब से महसूस करने को लेकर उत्साहित हैं क्योंकि हमारे सांस्कृतिक ताने-बाने का एक अनिवार्य हिस्सा हैं।
उन्होंने आगे कहा कि आधुनिक रंगमंच प्रथाओं के साथ इन पारंपरिक तत्वों का मिश्रण इस उत्सव को अनूठा बनाता है। मेरा मानना है कि रंगमंच में लोगों को जोड़ने, बाधाओं को पार करने और आपसी समझ को विकसित करने की शक्ति है।
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