रक्षा: चक्रवात से निपटने के लिए सेना का बहुपक्षीय अभ्यास

तटीय क्षेत्र में चक्रवात, आपदा या संकट से निपटने, राहत एवं मदद पहुंचाने के लिए भारतीय सेना ने एक बहुपक्षीय अभ्यास किया है। यह वार्षिक संयुक्त मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) अभ्यास, 'संयुक्त विमोचन 2024' अहमदाबाद और पोरबंदर में आयोजित किया गया। थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भाग लिया।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-19 17:17 GMT

नई दिल्ली, 19 नवंबर (आईएएनएस)। तटीय क्षेत्र में चक्रवात, आपदा या संकट से निपटने, राहत एवं मदद पहुंचाने के लिए भारतीय सेना ने एक बहुपक्षीय अभ्यास किया है। यह वार्षिक संयुक्त मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) अभ्यास, 'संयुक्त विमोचन 2024' अहमदाबाद और पोरबंदर में आयोजित किया गया। थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भाग लिया।

इसमें भारत की आपदा प्रतिक्रिया तत्परता प्रदर्शित की गई। खाड़ी सहयोग परिषद, हिंद महासागर क्षेत्र और दक्षिण-पूर्व एशिया के नौ मित्र देशों के 15 वरिष्ठ अधिकारियों एवं प्रतिनिधि भी इस कार्यक्रम में शामिल थे। यहां विभिन्न एजेंसियों ने एक कृत्रिम चक्रवात परिदृश्य में संचालन, त्वरित कार्रवाई और प्रभावी आपदा प्रबंधन का अभ्यास किया। इस कार्यक्रम में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना, भारतीय तटरक्षक बल, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल एवं अन्य केंद्रीय व राज्य एजेंसियों का सहयोगात्मक प्रयास रहा। प्रदर्शन कार्यक्रम की शुरुआत असैन्य प्रशासन से सशस्त्र बलों की मांग के साथ हुई।

प्रभावित क्षेत्र में बहु-संस्थाओं द्वारा टोह ली गई, निगरानी की गई। इसके बाद बचाव कार्यों के लिए कर्मियों को वहां भेजा गया। अभ्यास के दौरान तैनात संसाधनों की सहायता से हताहतों को निकालने का अभ्यास किया गया। इसका समापन मंगलवार को प्रभावित नागरिकों के ‘पुनर्जीवन एवं पुनर्वास’ के साथ हुआ। भारतीय सेना में दक्षिणी कमान की कोणार्क कोर द्वारा आयोजित यह अभ्यास 18 से 19 नवंबर तक दो दिन आयोजित किया गया। अभ्यास में 'गुजरात के तटीय क्षेत्र में चक्रवात' विषय पर टेबलटॉप अभ्यास शामिल था।

इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (जीएसडीएमए), मौसम विभाग और फिक्की के प्रतिनिधियों के साथ-साथ भारतीय सशस्त्र बलों के अधिकारी भी शामिल हुए। आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप, इस प्रदर्शन के साथ-साथ एक औद्योगिक गतिविधि को भी प्रदर्शित किया गया। इससे भारतीय रक्षा उद्योगों को आपदा प्रतिक्रिया प्रौद्योगिकी में अपने नवाचारों एवं विनिर्माण क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराया गया।

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पेशेवर तरीके से आयोजित इस अभ्यास के लिए सभी प्रतिभागियों की सराहना की। थल सेनाध्यक्ष ने वैश्विक मानवीय प्रयासों के प्रति भारत की कर्तव्यबद्धता को दोहराया, जिसमें हमारा देश लगातार संकट के समय दुनिया भर में कई लोगों के लिए आशा एवं सहायता की किरण के रूप में उभरा है।

उन्होंने कहा कि भारत अक्सर संकट में फंसे देशों और लोगों को महत्वपूर्ण रूप से सहायता प्रदान करता है। भारतीय सशस्त्र बलों ने हाल के वर्षों में खोज एवं बचाव मिशन, मानवीय सहायता और चिकित्सा सहायता के प्रावधान सहित आपदा राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सेना प्रमुख ने भारतीय रक्षा उद्योगों के प्रतिभागियों की भी सराहना की, जिन्होंने सरकार के विकसित तथा आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप स्वदेशी एचएडीआर उपकरण प्रदर्शित किए थे।

थल सेनाध्यक्ष ने विदेशी प्रतिनिधियों की भागीदारी की भी सराहना की। इस अभ्यास का उद्देश्य अंतर-संस्था एकीकरण एवं सहयोग में रहने वाले अंतराल को दूर करना और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति त्वरित तथा समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना था।

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