खेल: भारतीय खेल इतिहास में 3 अगस्त के दिन का है अहम योगदान
भारतीय खेल के लिए 3 अगस्त का दिन काफी महत्वपूर्ण है। इस दिन भारत के प्रसिद्ध फुटबॉल खिलाड़ी सुनील छेत्री, भारत की महिला लॉन बॉल टीम की खिलाड़ी लवली चौबे समेत तीन शानदार भारतीय क्रिकेटरों का भी जन्म हुआ।
नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय खेल के लिए 3 अगस्त का दिन काफी महत्वपूर्ण है। इस दिन भारत के प्रसिद्ध फुटबॉल खिलाड़ी सुनील छेत्री, भारत की महिला लॉन बॉल टीम की खिलाड़ी लवली चौबे समेत तीन शानदार भारतीय क्रिकेटरों का भी जन्म हुआ।
3 अगस्त 1984 को भारतीय फुटबॉल के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में एक सुनील छेत्री का जन्म हुआ था। भारत के ऑल टाइम टॉप गोल स्कोरर सुनील छेत्री को 2012 एएफसी चैलेंज कप क्वालीफायर में पहली बार भारतीय टीम की कप्तानी करने का मौका मिला था। सुनील छेत्री ने क्लब फुटबॉल में भी खूब नाम कमाया। उन्होंने बेंगलुरु एफसी के लिए शानदार प्रदर्शन किया और साल 2015 में इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में मुंबई सिटी एफसी ने उनको आईएसएल के सबसे महंगे फुटबॉलर के रूप में खरीदा था। छेत्री आईएसएल में 50 गोल करने वाले पहले फुटबॉलर हैं।
विराट कोहली और पीवी सिंधु जैसे खिलाड़ियों के साथ, सुनील छेत्री भारत के सर्वश्रेष्ठ खेल आइकन में से एक हैं और अगली पीढ़ी के भारतीय फुटबॉलरों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
3 अगस्त 1980 में जन्मीं लवली चौबे भारत की पहली महिला लॉन बॉल टीम की खिलाड़ी हैं। उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व तीन कॉमनवेल्थ खेलों में किया। साल 2022 के कॉमनवेल्थ खेलों में लवली चौबे, पिंकी सिंह, नयनमणि सैकिया और रूपा रानी तिर्की शामिल थीं। इस टीम ने फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 17-10 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। लवली चौबे ने साल 2014 की एशियाई लॉन बॉल चैंपियनशिप में सिंगल्स और पेयर्स दोनों स्पर्धाओं में रजत पदक जीता था। इसके बाद, 2023 में कुआलालंपुर में आयोजित 14वीं एशियाई लॉन बॉल चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था।
3 अगस्त, 1960 को दाएं हाथ के ऑफ स्पिन गेंदबाज गोपाल शर्मा का जन्म हुआ था। वह 1936 में महाराजकुमार ऑफ विजयनगरम के बाद उत्तर प्रदेश से भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले क्रिकेटर थे। उनकी गेंदबाजी को सटीकता के लिए जाना जाता था। उन्होंने भारत के लिए 5 टेस्ट और 11 वनडे खेलने के अलावा, 104 फर्स्ट क्लास मैच भी खेले।
3 अगस्त, 1956 को बलविंदर संधू का जन्म हुआ था, जो दाएं हाथ के मध्यम गति के गेंदबाज थे, और गेंद को दोनों तरफ स्विंग करा सकते थे। इसके अलावा, वे निचले क्रम में बल्ले से भी अच्छा योगदान देते थे। उन्होंने विश्व कप के फाइनल में अनुभवी बल्लेबाज गॉर्डन ग्रीनिज को एक ऐसी गेंद पर बोल्ड किया, जिसके बारे में आज भी चर्चा होती है। उन्होंने भारत के लिए 8 टेस्ट और 22 वनडे मैच खेले। इसके अलावा 55 फर्स्ट क्लास और 42 लिस्ट ए मैचों में भी भाग लिया।
3 अगस्त, 1939 को भारतीय क्रिकेटर, अपूर्व सेनगुप्ता का जन्म हुआ था। एक मिलिट्री कैडेट रहते हुए सेनगुप्त ने 1958-59 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ सर्विसेज टीम से प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर का आगाज किया था। इस डेब्यू मैच में उन्होंने यादगार प्रदर्शन करते हुए 35 और नाबाद 100 रन बनाए थे। इस सीजन में उन्होंने रणजी ट्रॉफी में दिल्ली के खिलाफ गेंदबाजी में भी 6 विकेट लिए थे।
सेनगुप्ता को उसी सीजन में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट टीम में सलामी बल्लेबाज के तौर पर चुना गया। वह देश के लिए एक ही टेस्ट मैच खेल पाए। लेकिन, एक दशक लंबे फर्स्ट क्लास करियर में सेनगुप्त ने 26.48 की औसत से 1695 रन बनाए जिसमें दो शतक शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने 31.14 की औसत से 21 विकेट भी लिए।
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