Tokyo Olympics: मेन्स बॉक्सिंग में भारतीय चुनौती खत्म, सतीश कुमार को क्वार्टर फाइनल मुकाबले में उजबेकिस्तान के बखोदिर जालोलोव ने हराया
Tokyo Olympics: मेन्स बॉक्सिंग में भारतीय चुनौती खत्म, सतीश कुमार को क्वार्टर फाइनल मुकाबले में उजबेकिस्तान के बखोदिर जालोलोव ने हराया
- उजबेकिस्तान के बखोदिर जालोलोव ने सतीश कुमार को हराया
- भारतीय मुक्केबाजी के फैन्स को रविवार को निराशा हाथ लगी
- सतीश कुमार की 91 किलोग्राम कैटेगरी के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में हार
डिजिटल डेस्क, टोक्यो। भारतीय मुक्केबाजी के फैन्स को रविवार को निराशा हाथ लगी। सतीश कुमार को 91 किलोग्राम कैटेगरी के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में उजबेकिस्तान के बखोदिर जालोलोव से हार का सामना करना पड़ा। सतीश कुमार ने हालांकि क्वार्टर फाइनल का सफर तय करके इतिहास रचा। जलोलोव बखोदिरि को पहले राउंड में सभी जजों ने 10-10 अंक दिए। वहीं दूसरा राउंड भी बखोदिरि के पक्ष में रहा। तीसरे राउंड में भी वह आसानी से जीत गए।
सतीश पिछले मुकाबले में चोटिल हो गए थे। पहले ऐसी भी खबरें आ रही थी कि उन्हें क्वार्टर फाइनल के लिए रिंग में उतरने की मंजूरी नहीं मिलेगी। सतीष को प्री-क्वार्टर मैंच में जमैका के रिकार्डो ब्राउन के खिलाफ ठुड्डी और दाहिनी आंख पर गहरा कट लगा था। उन्हें सात टांके लगे थे। बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अजय सिंह ने बताया था कि अगर डॉक्टर उन्हें अगले मैच के लिए रिंग में उतरने की अनुमति देंगे तो वह खेलने उतरेंगे। सतीश अगर यह मैच जीत जाते हैं तो वह सेमीफाइनल में जगह बना लेते और भारत के लिए एक और मेडल पक्का कर लेते, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
फुटबॉलर से मुक्केबाज बने उजबेकिस्तान के बखोदिर जालोलोवने अपना पहला ओलंपिक मेडल पक्का करने के बाद सतीश की बहादुरी की तारीफ की। जालोलोव 3 बार के एशियन चैम्पियन हैं। जालोलोव ने अजरबैजान के मोहम्मद अब्दुल्लायेव को 5-0 से हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी।
बता दें कि पांच भारतीय पुरुष मुक्केबाजों ने टोक्यो ओलंपिक खेलों का टिकट हासिल किया था। सतीश को छोड़कर, सभी मुक्केबाज पहले दौर में बाहर हो गए। स्टार मुक्केबाज अमित पंघल भी 52 किग्रा के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने में नाकाम रहें। सतीष की हार के साथ ही पुरुष मुक्केबाजी में भारतीय चुनौती खत्म हो गई है। लवलीना बोरगोहेन (69 किलो) महिला वर्ग में सेमीफाइनल खेलेंगी जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक बॉक्सिंग में भारत का पहला और इकलौता मेडल पक्का किया है।