New delhi News: अब वैश्विक स्तर पर धूम मचाएगा भारत की माटी का खेल, आयोजित होगा खो-खो विश्व कप

  • 13 से 19 जनवरी तक आयोजित होगा ‘खो-खो’ विश्व कप
  • 2032 में ओलंपिक में शामिल कराने का है लक्ष्य
  • डेक्कन जिमखाना, पुणे ने पहली बार बनाए थे नियम

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-27 12:18 GMT

New delhi News : भारत की माटी का खेल ‘खो-खो’ अब वैश्विक स्तर पर धूम मचाने को तैयार है। पहली बार ‘खो-खो’ विश्व कप का आयोजन राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में 13 से 19 जनवरी 2025 तक आयोजित किया जाएगा। इसमें इंग्लैंड, जर्मनी, अमेरिका सहित 24 देशों के पुरूष और महिला की 16-16 टीमें हिस्सा लेंगी। इस आयोजन पर लगभग 75 करोड़ रूपये खर्च होने का अनुमान है। यह जानकारी यहां खो-खो फेडरेशना ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने दी। उन्होंने बताया कि भारत की माटी का खेल खो-खो अभी सभी महाद्वीपों के 54 देशों में खेला जा रहा है। इसका पंजीकरण शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि इसमें देश के 50 लाख बच्चों का पंजीकरण करने की तैयारी है। 10 शहरों के 200 एलीट स्कूलों के बच्चे भी इसमें शिरकत करेंगे।

2032 में ओलंपिक में शामिल कराने का है लक्ष्य

‘खो-खो’ को 2032 में ओलंपिक में शामिल कराने के लक्ष्य के साथ काम कर रहे सुधांशु मित्तल ने कहा कि हिंदुस्तान का खेल अब दुनिया खेलेगी। उन्होंने बताया कि खो-खो में अब करियर भी है। अब तक 1,500 से ज्यादा खो-खो खेलने वाले बच्चों को सरकारी नौकरी मिल चुकी है। उन्होंने बताया कि अगले साल के अंत तक हमारी कोशिश 90 देशों तक खो-खो को पहुंचाने की है।

डेक्कन जिमखाना, पुणे ने पहली बार बनाए थे नियम

सुधांशु मित्तल ने बताया कि लोकमान्य तिलक द्वारा गठित डेक्कन जिमखाना, पुणे ने पहली बार खो-खो खेल के विधिवत नियम तय किए। वर्ष 1923-24 में इंटर स्कूल स्पोर्ट्स कम्पटीशन की स्थापना की गई, जिसके माध्यम से ग्रामीण स्तर पर खो-खो को लोकप्रिय करने के लिए कदम उठाए गए। उन्होंने बताया कि आधुनिक काल में खो-खो को महाराष्ट्र के अमरावती के हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के तत्वावधान में सबसे पहले 1936 के बर्लिन ओलंपिक्स में प्रदर्शित किया गया था तथा इसे खेल को अडोल्फ हिटलर ने सराहा था। 1996 में पहली बार खो-खो की पहली एशियाई खो-खो चैंपियनशिप आयोजित की गई। 


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