चंद्रयान-3 मिशन अपडेट: चंद्रमा पर रात होने के बाद क्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा चंद्रयान 3 का सफर? समझिए भारत के दृष्टीकोण से कामयाबी और नाकामयाबी का गणित
क्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा चंद्रयान 3 का सफर?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लंबे समय से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान को जगाने के प्रयासों के बीच आखिरकार वहां पर रात ने करवट ले ली है। परिणामस्वरूप, चंद्रयान 3 के रोवर और लैंडर के स्लीप मोड से बाहर आने की उम्मीद बुझती नजर आ रही है। साथ ही, चांद पर रात्री के आगमन के बाद शिवशक्ति प्वाइंट एक बार फिर अंधेरे में जा चुका है। चंद्रमा के दक्षिणी घ्रुव पर स्थित शिवशक्ति प्वाइंट वहीं स्पोट है जहां चंद्रयान 3 ने पहली बार लैंडिंग की थी। बता दें, चांद पर रात की अवधि धरती की तुलना में 14 दिनों के बराबर होती है। शिवशक्ति प्वाइंट पर सूरज की रोशनी 30 सितंबर से ही कम होती चली गई थी। जिस वजह से प्रज्ञान और विक्रम के वापस एक्टिवेट करने पर कई तरह की अशंका जताई जा रही थी।
स्लीप मोड में चंद्रयान 3
चांद पर अपने मिशन और डेटा को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद लैंडर और रोवर (प्रज्ञान और विक्रम) को इसरो द्वारा स्लीप मोड में डाल दिया गया था। उस समय चांद पर रात की शुरुआत हुई थी। चांद पर रात के समय तापमान काफी कम होता है। ऐसा माना जा रहा था कि चांद पर 14 दिनों की रात की अवधि पूरी होने के बाद सूर्योदय की मदद से विक्रम को फिर से एक्टिव मोड में लाया जाएगा। चंद्रयान 3 को निरंतर एक्टिवेट करने की कोशिशों में बेंगलुरू के साथ यूरोपियन स्टेशन कोरू और इस्टार्क की ओर से भी हर संभव प्रयास किए गए हैं। मगर, कोई भी प्रयास सफल नहीं रहा । गौरतलब है कि भारत का मून मिशन चंद्रयान 3 ने चांद के दक्षिणी घ्रुव पर कदम रखने वाला दुनिया का एकमात्र देश बन गया है। साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चंद्रयान 3 के लैंडिंग प्वाइंट को शिवशक्ति नाम भी घोषित किया गया है। यह प्वाइंट मैंजिनस सी और सिंप्लियस एन क्रेटर्स के मध्य में स्थित है जो नॉर्थ लूनर पोल से लगभग 4200 किमी दूरी पर मौजूद है।
सफलता का प्रतीक है चंद्रयान 3
चंद्रयान 3 के स्लीप मोड में जाते ही स्थिति खराब होती चली गई थी। जिसके बाद तब से लेकर अब तक प्रज्ञान और विक्रम दोबारा जागने में असफल रहे। हालांकि, इस नाकामयाबी के विपरित चंद्रयान 3 मिशन सफलता के दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। इसरो द्वारा निर्धारित कार्य को चंद्रयान 3 ने बखूबी दो हफ्तों में पूरा किया था। जिसके लिए विक्रम और रोवर ने कई तरह की जरूरी आकड़ों और चांद पर मौजूद तत्वों की जांच पड़ताल में सफलता भी हासिल हुई। जिनमें से विक्रम ने सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट (सीएचएसटीई) ऑनबोर्ड पेलोड का संचालन किया था। इसकी मदद से विक्रम ने पहली बार अलग अलग गहराई पर चंद्र मिट्टी के तापमान का अध्ययन किया था। इसरो के चीफ एस सोमनाथ द्वारा बताया गया था कि भारत का मून मिशन चंद्रयान 3 काफी कामयाब रहा है। यदि विक्रम और प्रज्ञान स्लीप मोड से नहीं भी बाहर आते हैं तो दोनों चंद्रमा पर भारत की सफलता का चिन्ह बने रहेंगे।