कोर्ट में सुनवाई: वॉट्सऐप ने हाईकोर्ट में कही भारत से चले जाने की बात, एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए नहीं तैयार है कंपनी

  • वॉट्सऐप ने कही भारत छोड़ने की बात
  • एन्क्रिप्शन तोड़ने को नहीं है तैयार
  • एचसी - 'मामले पर सभी पक्षों को बहस करना होगा'

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-26 07:48 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वॉट्सऐप ने कोर्ट में भारत से चले जाने की बात कही है। पॉपुलर मैसेजिंग ऐप ने भारत में आईटी एक्ट के तहत एन्क्रिप्शन तोड़ने की मांग पर असहमति जताया है। कंपनी ने कोर्ट में कहा है कि अगर उसे एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो वह भारत में अपना काम बंद कर यहां से चली जाएगी। दिल्ली हाईकोर्ट में वॉट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि लोग वॉट्सऐप का इस्तेमाल इस प्लेटफॉर्म के प्राइवसी फीचर के चलते ही करते हैं। बता दें कि वॉट्सऐप और इसकी पैरेंट कंपनी मेटा ने साल 2021 में भारत में लाए गए इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी नियमों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रूख किया है। याचिका में आईटी एक्ट के उस प्रावधान को चुनौती दी गई है जिसमें मैसेजिंग कंपनियों के लिए चैट का पता लगाने और मैसेज को सबसे पहले क्रिएट करने वाले शख्स का पता लगाने के लिए प्रावधान करना जरूरी बनाया गया है।

भारत छोड़ने की बात

वॉट्सऐप की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट में पेश हुए वकील तेजर कारिया ने मामले पर सुनवाई के दौरान कहा, "एक प्लेटफॉर्म के तौर पर हम कह रहे हैं कि अगर हमें एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए कहा जाता है, तो हम यहां से चले जाएंगे।" इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़े 2021 के नियमों से कंपनी को भविष्य में होने वाली परेशानियों का जिक्र करते हुए वकील ने कहा, "हमें मैसेजों की एक पूरी चेन तैयार रखनी होगी। हमें नहीं पता है कि कौन से मैसेज को डिक्रिप्ट करने के लिए कह दिया जाए। इसका मतलब हुआ कि लाखों-करोड़ों मैसेजों को कई सालों तक स्टोर करके रखना पड़ेगा।"

हाईकोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने कह कि इस मामले पर सभी पक्षों को बहस करना होगा। अदालत ने वॉट्सऐप से सवाल किया कि क्या किसी अन्य देश में इस तरह का कोई कानून मौजूद है? इस पर कंपनी ने कोर्ट से कहा, "दुनिया में कहीं भी इस तरह का नियम नहीं है। यहां तक कि ब्राजील में भी ऐसा कोई नियम मौजूद नहीं है।" इस मामले पर संतुलन बनाने की जरूरत पर जोर देते हुए कोर्ट ने कहा कि गोपनीयता का अधिकार पूर्ण नहीं है और कहीं न कहीं संतुलन बनाने की जरूरत है।

सरकार ने क्या कहा?

केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील ने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के नियमों को काफी अहम बताया है। सरकार की तरफ से वकील ने सांप्रदायिक हिंसा जैसे मामलों में प्लैटफॉर्म के जरिए फैलाए जाने वाले आपत्तिजनक कंटेट के संदर्भ में आईटी नियमों को बेहद महत्वपूर्ण बताया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी। हाईकोर्ट ने कहा है कि तब तक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक आईटी नियमों के विभिन्न पहलुओं को चुनौती देने वाली अन्य सभी याजिकाएं कोर्ट के पास ट्रांस्फर हो जाएगी।

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