जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024: उरी विधानसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस ने नहीं उतारा कोई प्रत्याशी, JKNC ने पिता की जगह बेटे को दिया टिकट

  • उरी में कौन है उम्मीदवार?
  • उरी में अंतिम चरण के वोट 1 अक्टूबर को
  • उरी विधानसभा सीट का इतिहास

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-25 13:40 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में कश्मीर कई समय से आतंकवाद झेलता आ रहा है। जिसमें कुछ इलाके ऐसे भी हैं जो आतंकियों के चलते काफी प्रभावित हुए हैं। इनमें से ही एक क्षेत्र है उरी। यहां पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने सीमा के पार करके घुसपैठ की थी। 18 सितंबर साल 2016 में सुबह एक बहुत बड़ा हमला किया था। जिसमें हमारे 19 जवान शहीद हुए थे। इंडियन आर्मी ने इस हमले का बदला लेते हुए करीब एक डेढ़ हफ्ते बाद सर्जिकल स्ट्राइक कर दी। पाकिस्तान के आतंकी बेस कैंप को उजाड़ दिया। अब उरी सीट फिर सुर्खियों में है। वजह है विधानसभा चुनाव। जिसकी वजह से यहां गर्मागर्म सियासी माहौल बना हुआ है। बीजेपी ने इस सीट से कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है। 

कब डाले जा रहे हैं अंतिम चरण के वोट?

उरी विधानसभा सीट पर 1 अक्टूबर को अंतिम चरण के वोट डाले जाएंगे। तीसरे और आखिरी चरण में प्रदेश की 40 सीटों पर वोटिंग होगी। उरी के साल 2014 की वोटिंग में जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस को भी इस सीट से जीत मिली है। इस बार के विधानसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार यहां का चुनाव बहुत ही ज्यादा अहम होने वाला है।

कैसा रहा इस सीट का इतिहास?

उरी विधानसभा सीट का निर्माण साल 1962 में हुआ था। तब से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस का यहां ज्यादा समय तक कब्जा रहा है। इस पार्टी मोहम्मद शफी इस सीट से लगातार 6 बार विधायक चुने गए थे। साल 1972 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीता था। जिसके बाद 1977, 1983, 1987 और 1996 में लगातार विधानसभा सीट पर जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर जीत हासिल की है। इस बार जेकेएनसी की टिकट पर सज्जाद शफी मैदान में उतरे हैं। 

जेकेएनसी के अलावा किसने की उरी में जीत हासिल?

इस सीट के निर्माण के बाद दूसरी विधानसभा सीट पर साल 1967 के चुनाव में कांग्रेस के एम.एम.खान ने जीत हासिल की थी। इसके बाद साल 2002 और 2008 के चुनावों में कांग्रेस के ताज मोही-उद-दीन ने कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल की थी। जिसके बाद साल 2014 के विधानसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने फिर से ये सीट हासिल कर ली। 

कौन है सज्जाद शफी?

सज्जाद अली पेशे से डॉक्टर हैं। लेकिन इनका नाता राजनीतिक परिवार से रहा है। इनके पिता मोहम्मद शफी ने उरी विधानसभा सीट पर 6 बार लगातार शासन किया है। साथ ही ये पूर्व राज्य वित्त मंत्री अब्दुल रहीम राथर के दामाद भी हैं। इस बार पिता की जगह बेटे सज्जाद शफी इस सीट को संभालने के लिए मैदान में उतरे हैं।

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