कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद: सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार को फिर लगा झटका, नेमप्लेट लगाने के खिलाफ स्टे बरकरार

  • सुप्रीम कोर्ट का कावड़ा यात्रा नेमप्लेट मामले में सुनाया फैसला
  • उत्तरप्रदेश के फैसले पर रोक को रखा बरकरार
  • शुक्रवार को सुनवाई के दौरान दिया आदेश

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-26 09:26 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों के बाहर नेमप्लेट लगाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से उत्तरप्रदेश सरकार को दोबारा झटका लगा है। कोर्ट ने शुक्रवार को नेमप्लेट लगाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनावाई की। जिसमें उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से जारी निर्देश के खिलाफ स्टे को बरकरार रखना का फैसला सुनाया गया। इसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को टाल दी।

कोर्ट में यूपी-एमपी और उत्तरखंड की दलीलें

कोर्ट में कहा गया कि केवल अब तक यूपी सरकार ने जवाब दाखिल किया है। उत्तराखंड सरकार की ओर से समय की मांग की गई है। कोर्ट ने पूछा कि मध्यप्रदेश की तरफ से कौन है। तो इस पर एमपी के वकील ने कहा कि हम भी जवाब दाखिल करेंगे, लेकिन हमारे यहां कोई घटना नहीं हुई है। उज्जैन नगरपालिका की ओर से भी कोई आदेश पारित नहीं किया गया है। दिल्ली के वकील ने कहा कि हमने कांवड़ मार्गों पर नेमप्लेट लगाने का कोई आदेश पारित नहीं किया है।

यूपी के वकील ने कही ये बात 

कोर्ट में कांवड़ियों के एक समूह ने एक आवदेन दाखिल किया है। उत्तरप्रदेश की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्य सरकार के फैसले पर एकतरफा रोक लगा दी गई है। इस मामले में पर जल्द से जल्द सुनवाई होना चाहिए, नहीं तो कांवड़ यात्रा समाप्त हो जाएगी।

इस पर याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 60 सालों से इस तरह का निर्देश नहीं आया था। यदि यह इस साल लागू नहीं होता है तो कुछ बिगड़ नहीं जाएगा। कोर्ट विस्तार से सुनकर फैसला करे। इसके जवाब में रोहतगी ने कहा कि केंद्रीय कानून के मुताबिक रेस्टोरेंट मालिक को अपना नाम लिखना अनिवार्य होता है। इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए।

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