अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस: बाघ संरक्षण के लिए स्वर्ग बना रातापानी अभ्यारण्य, यहां इतने बाघ की जंगल पड़ने लगा छोटा

  • सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध के साथ अन्य अनुकूल परिस्थियां बनी सहायक
  • रातापानी अभयारण्य में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है
  • अभ्यारण्य के विकास से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-29 06:43 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीक ओबैदुल्लागंज के वन मंडल के अंतर्गत आने वाला रातापानी अभयारण्य बाघों के सबसे खूबसूरत और सुरक्षित आशियानों में से एक है। यहां बाघों के शिकार के लिए कई प्रजातियों के वन्य प्राणियों के अतिरिक्त पानी के पर्याप्त जल स्रोत हैं। बाघों को विचरण करने के लिए काफी बड़ा जंगल मिल जाता है।  20 से 25 किलोमीटर की टेरिटरी एरिया होने के साथ ही बाघों को अपनी भूख मिटाने के लिए आसानी से शिकार भी मिल जाता है। इन सब के अलावा उनकी सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध व अन्य अनुकूल परिस्थितियां देखने को मिलती है। इन सब के चलते यहां बाघों की संख्या में साल दर साल बढ़ोतरी हो रही है। बाघ संरक्षण और संवर्धन प्रयासों के चलते वर्ष 2018 की बाघ जनगणना के मुकाबले यहां बाघों की संख्या में तीन गुना वृद्धि होना बताई जा रही है। तब यहां 35 बाघ थे, खबरों के मुताबिक अब यहां 80 से 90 बाघ  होने का अनुमान हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर आपको बता दें रातापानी अभ्यारण्य का क्षेत्र भोपाल,सीहोर और रायसेन जिले तक फैला हुआ है। यह जंगल घना होने के साथ ही इसमें वन्य प्राणियों के लिए पानी के पर्याप्त स्रोत है। इस कारण रातापानी अभ्यारण्य के बाघों का मूवमेंट भोपाल, सीहोर और रायसेन जिले के बाड़ी की सीमा तक बना हुआ है। यहां बाघों ने अभयारण्य के अलग-अलग क्षेत्रों में अपना बसेरा बना रखा है।

आसानी से मिलता है शिकार,इसलिए नहीं छोड़ते टेरेटरी

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यहां बाघ और बाघिने लगभग बराबर है। साथ ही इनके भोजन के लिए पर्याप्त संख्या में जानवर हैं जिनका शिकार वह करते रहते हैं। स्वभाव के अनुसार बाघिन अपनी टेरेटरी छोड़कर दूसरी बाघिन की टेरेटरी में मूवमेंट नहीं करती। इस कारण रातापानी सेंचुरी और उसके आसपास जंगल का आकार छोटा होने के बाद भी यहां बाघों में बहुत कम आपसी संघर्ष होता हैं।

अभ्यारण्य का विकास, पर्यटन को बढ़ावा

रातापानी अभयारण्य में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने में एक कदम दूर है। विशेषज्ञों का मानना है की रातापानी में बाघों की अधिक साइटिंग होगी तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। राजधानी के नजदीक और दोनों और नेशनल हाईवे लगे होने के कारण रातापानी वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों की पसंद है। ऐसे में यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और इस अभ्यारण्य का भी विकास होगा।

कैमरों से हर गतिविधि पर नज़र

एक वनमंडलाधिकारी ने बताया की पूरे क्षेत्र में 200 कैमरों से नजर रखी जा रही है। इसके लाभ भी सामने आ रहे है, जहां बाघों और अन्य वन्यप्राणियों की हर गतिविधियो पर नजर रखी जा रही है वही शिकार और वनों की अवैध कटाई पर अंकुश लगा है। बीते वर्ष अक्टूबर यहां पर्यटकों के लिए 35 किलोमीटर में टाइगर सफारी ट्रेक बनाया गया था। पर्यटक स्वयं एवं मंडल के बैटरी चलित वाहनों से इसका आनंद ले रहे हैं। पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यहां पर अब बारिश के बाद 3 नए ट्रैक बनाए जाएंगे जिसका लाभ पर्यटकों को बहुत जल्द मिलेंगा। मंडल में तैनात कार्तिक शुक्ला ने बताया की अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने पर पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी यह देश का इकलौता अभ्यारण्य हैं जिसे टाइगर रिजर्व का दर्जा नहीं मिलने के बाद भी पर्यटक यहां खिंचे चले आते है जिसका एक कारण यूनेस्कों की विश्व धरोहर भीमबेटका सेंचुरी में मौजूद है।

अभ्यारण पर एक नजर

972 किमी क्षेत्रफल

80 से 90 बाघो की मौजूदगी

70 से 80 तेंदुए

157 बीट में 132 में बाघों की मौजूदगी के साक्ष्य

200 कैमरो से रखी जा रही नजर

20 से 25 किलोमीटर टेरेटरी क्षेत्र

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