सोरेन की जगह सोरेन: रामदास सोरेन को मंत्री बनाना- हेमंत सोरेन की मजबूरी या फिर मास्टरस्ट्रोक, समझिए क्यों जरूरी है संथाल समाज को संभालना

  • झारखंड के मंत्री पद की रामदास सोरेन ने ली शपथ
  • रामदास को दिए जाएंगे सारे विभाग
  • रामदास सोरेन कौन हैं?

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-30 10:34 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। झारखंड की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। जाने-माने आदिवासी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चे को छोड़ दिया है। अब हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम के सामने बड़ा संकट आ गया है। एक तरफ उनसे चंपई सोरेन का साथ छोड़ना पड़ा वहीं दूसरी तरफ कोल्हान जैसे आदिवासी बेल्ट में ऑल इज वेल का मैसेज भेजने की भी चुनौती सामने है। अभी जेएमएम ने एक तरीका ढूंढ लिया है और घाटशिला से विधायक रामदास सोरेन को आगे लाने की तैयारी कर ली है।

बता दें रामदास सोरेन ने आज सुबह 11 बजे राजभवन में कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली है। उन्होंने कैबिनेट में चंपई सोरेन की जगह ले ली है। वे मंत्रीमंडल के 12वें मंत्री हो गए हैं। चंपई सोरेन के इस्तीफा देने के बाद कैबिनेट मंत्री का पद खाली हो गया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आने के बाद रामदास सोरेन रांची पहुंचे और पार्टी के नेताओं से मुलाकात की। रामदास सोरेन को चंपई सोरेन का खास और करीबी माना जाता है। ऐसे में हेमंत सोरेन ने रामदास को मंत्री बनाकर बगावत थामने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। साथ ही संथाल आदिवासी समाज को भी एक साथ करने का प्रयास किया है।

संथाल समाज के लिए चला दांव

जानकारों के मुताबिक हेमंत सोरेन का कोल्हान इलाके में संगठन का दबदबा बनाए रखने पर पूरा फोकस है। हेमंत जानते हैं कि कोल्हान में चंपई का प्रभाव है साथ ही वह संथाल समाज से आते हैं। वे 44 साल के करियर में पार्टी कार्यकर्ता से लेकर सीएम के पद तक पहुंचे हैं। जिस वजह से हेमंत ने चंपई की बगावत को लेकर अब तक किसी भी प्रकार की टिप्पणी नहीं की है। चंपई बहुत ही पुराने और समझदार नेता हैं। जिसके चलते हेमंत, चंपई की अगली रणनीति के समझने की कोशिश करने की पूरी कोशिश में लगे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि चंपई की बगावत से कोल्हान में जेएमएम को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए हेमंत ने संथाल समाज से आने वाले रामदास सोरेन को मंत्री बनाने का दांव चला है।

रामदास को दिए जाएंगे सारे विभाग

जानकार का ये भी कहना है कि जेएमएम ने डैमेज नियंत्रण की भी पूरी तैयारी कर ली है। रामदास सोरेन को कैबिनेट मंत्री बनाकर पूर्वी सिंह भूमि जिले के अलावा कोल्हान इलाके को साधने के प्लान पर काम शुरू कर दिया है। मंत्रीमंडल विस्तार के बाद रामदास को सारे विभाग मिलेंगे जो चंपई सोरेन के पास अब तक थे। रामदास को पार्टी कोल्हान में अपना वोट बैंक मजबूत करने का काम देगी। हालांकि, इसका फायदा और नुकसान तो चुनावी नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा।

क्या है चंपई सोरेन का कोल्हान में प्रभाव?

पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला खसावां और पश्चिमी सिंहभूम कोल्हान के मंत्रीमंडल में आते हैं। इन तीनों जिलों में 14 विधानसभा सीटे हैं। जिसमें चंपई सोरेन का खास प्रभाव है। इन इलाकों में अभी जेएमएम के पास ऐसा कोई बड़ा नेता नहीं है। जो चंपई सोरेन की जगह ले सके। चंपई सोरेन का फायदा झारखंड मुक्ति मोर्चे को हमेशा से मिलता आया है। साल 2020 में जेएमएम ने चुनावों में कोल्हान की 14 सीटों में से 11 जीती थीं। बची दो सीटें कांग्रेस को मिली थी। वहीं एक सीट पर निर्दलीय सरयू राय का कब्जा रहा था। बीजेपी के हाथ यहां पर खाली रहे थे। इसी कारण के चलते भाजपा को कोल्हान में मजबूत आदिवासी नेता की जरूरत थी। जिसके बाद अब चंपई के जरिए भाजपा 14 सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है। चंपई सोरेन इससे पहले एनडीए सरकार का हिस्सा भी रहे हैं। वे सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। गुरुवार को राजभवन में चंपई सोरेन का मंत्री पद पर से इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।

रामदास सोरेन कौन हैं?

रामदास सोरेन संथाल समुदाय से आते हैं। वे पूर्वी सिंहभूम में जेएमएम के जिला अध्यक्ष भी हैं। वे अलग राज्य के आंदोलन का हिस्सा भी रह चुके हैं। इसके अलावा वे कई बार जेल के भी चक्कर लगा चुके हैं। रामदास सोरेन ने 2005 में पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़ा था जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप कुमार बलमुचू से हार गए थे। उसके बाद 2009 में जेएमएम के टिकट पर घाटशिला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और 1192 वोट से जीत हुई थी। वहीं 2014 के चुनावो में रामदास को फिर से हार का सामना करना पड़ा था। इनको भाजपा के लक्षमण टुडू ने हराया था। जिसके बाद साल 2020 के चुनावों में रामदास ने हार का बदला लेते हुए लक्षमण टुडू को हरा दिया था और दूसरी बार विधानसभा पहुंचे थे। राज्य में जेएमएम की सरकार बनी लेकिन रामदास को कैबिनेट में जगह नहीं मिली थी। क्योंकि कोल्हान से चंपई बड़े नेता माने जाते थे। जिसके बाद अब हेमंत सोरेन की सरकार में उन्हें इस बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। 

Tags:    

Similar News