'प्रिंसिपल का हत्या को आत्महत्या बताना, अस्पताल में भीड़ का घुसना!: वो 5 बड़े सवाल जिन्हें लेकर SC ने लगाई ममता सरकार की क्लास

  • सुप्रीम कोर्ट में 20 अगस्त को हुई कोलकाता रेप-मर्डर केस की सुनवाई
  • कोर्ट ने कई सवालों को लेकर ममता सरकार की लगाई क्लास
  • जानिए मामले से जुड़े 5 बड़े सवाल

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-20 13:47 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर मामले की सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने घटना को भयावह करार दिया। साथ ही कोर्ट ने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में हुई देरी पर ममता सरकार की आलोचना भी की।

कोर्ट ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि यह घटना पूरे देश में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर व्यवस्थागत मुद्दे पर सवाल उठाती है। भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यदि महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही है और काम करने की स्थितियां सुरक्षित नहीं है। ऐसे में हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार से यह सवाल

सवाल 1 - प्राथमिकी दर्ज करने में देरी क्यों हुई। हॉस्पिटल के प्राधिकारी क्या कर रहे थे?

सवाल 2 - आरजी कर मेडिकल कॉलेज में अंदर हजाराों की संख्या में भीड़ कैसे घुसी? कोलकाता पुलिस क्या कर रही थी?

सवाल 3 -  जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसपिल का आचरण जांच की निगरानी में है। फिर उन्हें अचानक से दूसरे कॉलेज की नियुक्ति दी गई?

सवाल 4 -  आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 7000 लोगों की भीड़ पैदल पुलिस की जानकारी के बिना कैसे दाखिल हो सकती है। इस पर ममता सरकार जवाब दें?

सवाल 5 -  इसके बाद सुप्रीम कोर्ट  ने पूछा, 'ऐसा लगता है कि अपराध का पता सुबह-सुबह ही चल गया था। लेकिन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने इसे आत्महत्या बताने का प्रयास क्यों किया?

दो जस्टिस की बेंच ने की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि ममता सरकार को प्रदर्शनकारियों पर बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलााव कोर्ट ने यह भी कहा कि अस्पताल में डॉक्टर की 36 घंटे तक काम करते हैं। इस लिहाज से कार्य स्थल पर उन्हें सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने के संबंध में राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने पर जोर देना की आवश्यकता है।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पश्चिम बंगाल को चीजों को नजरअंदाज करने की स्थिति में नहीं रहेने देना चाहिए। राज्य में लॉ एंड ऑर्डर पूरी तरह से विफल साबित हुआ है। घटना पर सुप्रीम कोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने पहले ही कार्रवाई की है और मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है।

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