मोटिवेशनल स्पीकर: विरोधी साजिश रचते रह जायेंगे, मैं इतिहास रचता जाऊंगा - डॉ विवेक बिंद्रा

विरोधियों ने साजिशों का बीज बोया है, पर मैंने भी अपना धीरज नहीं खोया है : डॉ विवेक बिंद्रा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-16 08:45 GMT

डिजिटल डेस्क, गुड़गांव। जीवन में दुःख के अनेकों रूप है, कई बार दुःख जीवन में बदनामी का रूप धारण करके आता है। जीवन के इस उतार चढ़ाव में अक्सर व्यक्ति का मनोबल टूटने लगता है, बदनामी का ये दुःख उसके हृदय को कमज़ोर करने लगता है।

इसरो के साइंटिस्ट प्रोफेसर नांबी नारायण के खिलाफ साजिश हुई, उनपर देश से गद्दारी करने के आरोप लगे, सालों साल उन्हें इस बदनामी के साथ जीवन बिताना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, अपने लिए लड़े और जीते भी। अब जाकर उन्हें भारत सरकार ने पदम् भूषण से सम्मानित भी किया। उनकी इस लड़ाई को “रॉकेट्री” नाम की बायोपिक फिल्म में भी दिखाया गया। इसीलिए बुरे समय में धीरज ना खोएं। भगवतगीता के दूसरे अध्याय के इस चौदहवें श्लोक में भी इस बात समझाया गया है।

मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।

आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारतll

इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि “सुख दुःख आएगा और चला जायेगा ये अस्थाई है, इसीलिए इसे सहन करना सीखो अर्जुन।

श्रीकृष्ण ने यहां समस्त संसार को ये संदेश दिया है कि “सुख के समय उछलें नहीं, दुःख के समय फिसलें नहीं।” सुख और दुःख दोनों में ही स्वयं को सही ढंग से संभाल कर रखना चाहिए। जब भी आपके जीवन में कुछ नकारात्मक घटना घटती है तो साथ ही उसमें कुछ ना कुछ सकारात्मक भी छुपा होता है। बस फर्क इतना है कि “नेगेटिव अपनेआप दिखता है और पॉजिटिव ढूंढना पड़ता है।” ऐसे अनेकों उदाहरण है जब लोगों ने अपने नकारात्मक समय में खुद को संभाला और आगे बढ़े।

अमिताभ बच्चन को आज इंडियन सिनेमा जगत का “महानायक” कहा जाता है लेकिन उनका यहां तक पहुंचने का सफर भी उतना ही मुश्किल और उतार चढ़ाव भरा रहा है। पढ़ाई पूरी करके जब वो मुम्बई गए तो नौकरी नहीं मिली, ऑल इण्डिया रेडियो में रिजेक्ट किए गए, बॉलीवुड में ये बोलकर नकारा गया कि उनकी लंबाई बहुत ज्यादा है। बाद में जब फिल्मों में मौका मिला तो लगातार 10 से ज्यादा फिल्में फ्लॉप हो गईं। परिवार ने भी वापस आने को कह दिया।

लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी नतीजा ये हुआ कि 70 के दशक में अमिताभ बच्चन ने एक से बड़ी एक हिट फिल्म दीं। फिर 80 के दशक में उनका एक्सीडेंट हुआ वो लगभग मौत के मुंह से वापस आए थे। बाद में उन्होंने ABCL नाम से एक प्रोडक्शन कंपनी भी बनाई जो बुरी तरह फेल हुई और वो दिवालिया हो गए। KBC शो से उन्होंने दोबारा वापसी की लेकिन कुछ टाइम बाद तबीयत खराब हुई और शो शाहरुख खान के पास चला गया। लेकिन शो नहीं चला तो अमिताभ बच्चन फिर लौटे और आज तक शो को सक्सेसफुली चला रहे हैं। यहां संदेश ये हैं कि जीवन में उतारा चढ़ाव चलता रहेगा आपको हर परिस्थिति को सहना और खुद को संभालना सीखना होगा।

बदनामी और आरोपों के इस दौर से खुद मैं भी गुजर रहा हूं। पिछले कई वर्षों से हम सफलता के शिखर पर थे, दुनिया की इकलौती एड्टेक कंपनी हैं जिसके नाम पर 12 विश्व रिकॉर्ड दर्ज हैं, कंपनी लगातार एक अच्छा प्रॉफिट कमा रही थी। इस पूरी सफलता से हम कभी भी उछले नहीं केवल अपनी मेहनत से आगे बढ़ते रहे।

जब काम अच्छा करते हैं तो आपको नीचे खींचने वाले भी बहुत होते हैं, मेरा और मेरी कंपनी का नाम भी लोगों ने खराब किया, कंपनी को गिराने के लिए हरसंभव साजिशें की गईं। लेकिन आज भी हम पूरी हिम्मत के साथ बाउंस बैक करने को तैयार हैं और जल्द ही फिर से पहले की तरह सफलता के परचम को हासिल करेंगे। भले ही विरोधियों ने साजिशों का बीज बोया है लेकिन मैंने भी अपना धीरज नहीं खोया है।

ये पहली बार नहीं है जब बुरा वक्त मेरे सामने आया है, 22 जून 2016 में एक के बाद एक मेरे कई सारे प्रोजेक्ट्स बंद हो गए थे। तब ऑफिस के बड़े बड़े ओहदे पर मौजूद टीम के लोगों ने भी कंपनी छोड़ दी, इस बुरे वक्त में किसी ने भी साथ नहीं दिया। तब उस वक्त मुझे अपना घर बेचकर सभी एंप्लॉयस की तनख्वाह देनी पड़ी थी। लेकिन वक्त बदला मैंने मेहनत की और फिर से खड़ा हुआ, आज भी वही हौंसला लेकर चल रहा हूं।

तो गीता के दूसरे अध्याय के चौदहवें श्लोक का सार यही है कि जो भी परिस्थिति आपके जीवन में आए उसके साथ डील करना सीखें, वक्त अच्छा है तो खुद उछलें नहीं, वक्त खराब है तो फिसलें नहीं।

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