जबरन रिटायर किए गए अफसर का ऐलान, योगी से करेंगे चुनावी मुकाबला
सीएम बनाम अफसर जबरन रिटायर किए गए अफसर का ऐलान, योगी से करेंगे चुनावी मुकाबला
- उत्तर प्रदेश में चुनावी हलचल तेज
- अमिताभ ठाकुर 1992 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं
- अमिताभ ठाकुर को 23 मार्च 2021 को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया था
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में तमाम ऐसे कार्य किए हैं, जिनके विरोध स्वरूप वह इस बार उनके खिलाफ चुनाव लडे़ंगे।"
अमिताभ का कहना है कि योगी आदित्यनाथ इस बार जहां से भी चुनाव लड़ेंगे वह उनके सामने मैदान में जरूर उतरेंगे। अमिताभ का कहना है कि ये सिद्धांतों की लड़ाई है। वह चुनाव में उम्मेदवारी पेश करके गलत के खिलाफ अपनी आवाज उठाएंगे। बता दें कि अमिताभ ठाकुर को 23 मार्च 2021 को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया था। उनकी सेवानिवृत्ति के संबंध में गृह मंत्रालय से जारी किए गए आदेश में कहा गया था कि वह अपनी सेवाएं पूरी करने के लिए योग्य नहीं है। इसलिए लोकहित में उन्हें सेवानिवृत्त किया जा रहा है।
बता दें अमिताभ ठाकुर ने 2017 में केंद्र से राज्य कैडर बदलने की मांग की थी जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया था। ठाकुर को 12 जुलाई 2015 को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव पर धमकी देने का आरोप लगाने पर निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद उनके खिलाफ एक जांच कमेटी का गठन भी किया गया था। इसके बाद केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने अप्रैल 2016 तक उनका निलंबन जारी रखा था। उम्मीद लगाई जा रही है कि योगी अयोध्या सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। तो वहीं, उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल बनने लगा है। सभी पार्टियां अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रही हैं।
भाजपा के उत्तर प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर के मुताबिक 23 अगस्त को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पार्टी के बूथ विजय अभियान की शुरुआत करेंगे। नड्डा पार्टी के 27 हजार शक्ति केंद्र प्रभारियों को वर्चुअली संबोधित कर बूथ जीत का मंत्र देंगे। भाजपा अध्यक्ष के अनुसार, इस बार के चुनाव में पार्टी 2017 से भी बड़ा बहुमत प्राप्त करेगी।
कौन हैं अमिताभ ठाकुर?
अमिताभ ठाकुर 1992 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के दस जिलों में पुलिस अधीक्षक (एसपी) और राज्य के नागरिक सुरक्षा विभाग में महानिरीक्षक (आईजी) के रूप में कार्य किया है। वर्तमान में उन्हें पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के कारण एमएचए द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है। उन्होंने पैसे के बदले अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल के बारे में खुलासा किया।
ठाकुर समय से पहले रिटायरमेंट पाने वाले उत्तर प्रदेश के तीन आईपीएस अधिकारियों में से एक थे। ठाकुर का राज्य सरकार से टकराव भी रहा है।
जब उने प्रीमैचीयोर रिटायरमेंट (Premature Retirement) दी गई तब वो संयुक्त निदेशक (नागरिक रक्षा) के रूप में तैनात थे। ठाकुर के अलावा दो अन्य अधिकारी (2002 बैच के डीआईजी और 2005 बैच के एक एसपी) भी समय से पहले सेवानिवृत्त कर दिए गए थे। अमिताभ ठाकुर जून 2028 में सेवानिवृत्त होने वाले थे, जबकि पदोन्नत आईपीएस अधिकारी जून 2023 और अप्रैल 2024 में सेवानिवृत्त होने वाले थे। अधिकारियों के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं।
केंद्र सरकार ने 17 मार्च के अपने आदेश में 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को सेवा में बने रहने के लिए अयोग्य पाया और जनहित में उनका सेवा कार्यकाल पूरा करने से पहले उन्हें तत्काल प्रभाव से सेवानिवृत्ति देने का फैसला किया था ।
अमिताभ ठाकुर का वर्तमान भाजपा और पिछली समाजवादी पार्टी दोनों सरकारों के साथ टकराव था।
2016 में अमिताभ ठाकुर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को दो बार पत्र लिखकर अपने कैडर में बदलाव की मांग की थी. जनवरी 2017 में केंद्र ने उनके अनुरोध को ठुकरा दिया था।
समाजवादी पार्टी के तत्कालीन सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव पर उन्हें धमकी देने का आरोप लगाने के कुछ दिनों बाद अमिताभ ठाकुर को 13 जुलाई 2015 को निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग सार्वजनिक की थी, जिसमें सपा नेता ने कथित तौर पर उन्हें धमकी दी थी। इसके बाद राज्य सरकार ने उनके खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू की थी। बाद में, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की लखनऊ पीठ ने अमिताभ ठाकुर के निलंबन पर रोक लगा दी और 11 अक्टूबर 2015 से उन्हें पूर्ण वेतन के साथ बहाल करने का आदेश दिया था। अमिताभ ठाकुर को 17 मई, 2018 को संयुक्त निदेशक (नागरिक सुरक्षा) के रूप में तैनात किया गया था।