- केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू कश्मीर आरक्षण विधेयक सदन में पेश कर दिया है.
- जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए बढ़ाने से जुड़ा प्रस्ताव सदन में रखा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक, 2019 शुक्रवार को लोकसभा में पारित कर दिया गया। साथ ही जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन छह माह बढ़ाने संबंधी संकल्प को भी मंजूरी मिल गई है। गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जोर देकर कहा कि जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव लोकतांत्रिक, स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से होंगे जैसे ही चुनाव आयोग तारीखों की घोषणा करेगा।
इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा सदन में जम्मू कश्मीर आरक्षण विधेयक सदन में पेश किया था। उन्होंने सदन में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए बढ़ाने से जुड़ा प्रस्ताव रखा था। इस पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने कहा कि जब कोई दल राज्य में सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं था तो कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया गया था।
शाह ने कहा, आज इस सदन के सामने मैं दो प्रस्ताव लेकर उपस्थित हुआ हूं। एक वहां जो राष्ट्रपति शासन चल रहा है, उसकी अवधि को बढ़ाने का है और दूसरा जम्मू-कश्मीर के संविधान के सेक्शन 5 और 9 के तहत जो आरक्षण का प्रावधान है उसमें भी संशोधन करके कुछ और क्षेत्रों को जोड़ने का प्रावधान। शाह ने कहा जम्मू-कश्मीर में अभी विधानसभा अस्तिव में नहीं है इसलिए मैं ये बिल लेकर आया हूं कि 6 माह के लिए राष्ट्रपति शासन को बढ़ाया जाए।
शाह ने कहा राज्य में जब कोई दल सरकार बनाने की लिए तैयार में नहीं था। तब विधानसभा को भंग करने का फैसला राज्यपाल ने लिया था। 9 दिसंबर 2018 को राज्यपाल शासन की अवधि खत्म हो गई थी और फिर धारा 356 का उपयोग करते हुए 20 दिसंबर से वहां राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया गया। 2 जुलाई को छह माह का अंतराल खत्म हो रहा है और इसलिए इस राष्ट्रपति शासन को बढ़ाया जाए क्योंकि वहां विधानसभा अस्तित्व में नहीं है।
शाह ने कहा चुनाव आयोग ने भी पहले जम्मू-कश्मीर सरकार और सभी राजनीतिक दलों से बात करके निर्णय लिया है कि इस साल के अंत में ही वहां चुनाव कराना संभव हो सकेगा। हम जम्मू-कश्मीर के हालात पर नजर बनाए हुए हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में बंकरों का निर्माण पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर किया जाएगा। हर व्यक्ति का जीवन हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
चुनाव आयोग ने भी पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन, केन्द्र सरकार और सभी राजनीतिक दलों से बात करके निर्णय लिया है कि इस साल के अंत में ही वहां चुनाव कराना संभव हो सकेगा। शाह पिछले एक साल के अंदर जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ों से उखाड़ फेंकने के लिए इस सरकार ने बहुत से कार्य किए हैं। जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र बहाल रहे ये भाजपा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और हम इसमें जरा भी लीपापोती नहीं करेंगे।