यूपी विधानसभा उपचुनाव 2024: सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर वाली कुंदरकी सीट पर बीजेपी की जीत तय, 31 सालों बाद मिली जीत के क्या मायने, क्यों हारी सपा?

  • कुंदरकी सीट पर बीजेपी आ रही आगे नजर
  • 31 साल बाद बीजेपी खिला सकती है अपना कमल
  • सपा रही इस सीट में काफी पीछे

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-23 09:40 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए वोटिंग हो चुकी है। जिसके बाद अनुमान लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी की जीत हो सकती है। कुंदरकी सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम वोट मिलते हैं, जिसके चलते कुंदरकी सीट पर चर्चा जारी है। यहां पर करीब 65 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स हैं। इसलिए ही सपा की जीत मानी जा रही थी। लेकिन अनुमान जताए जा रहे हैं कि बीजेपी अपनी जीत हासिल करेगी। ऐसी अटकलें सपा के वरिष्ठ नेता और सांसद रामगोपाल के बयान के बाद तेज होती दिखाई दी हैं। जिसमें उन्होंने कुंदरकी, मीरापुर और कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीटों पर चुनाव रद्द करके वापस से वोट करवाने की मांग की जा रही थी।

कब मिली थी आखिरी बार जीत?

इस सीट पर बीजेपी को साल 1993 में आखिरी बार जीत मिली थी। जिसके बाद ऐसा कहा जा रहा था कि ये सीट सपा की है। इस पर बीजेपी का जीतना बहुत ही ज्यादा मुश्किल नजर आ रहा है। कुंदरकी सीट पर बीजेपी का कहना है कि यहां पर रामपुर मॉडल चला गया है, जिस तरह से साल 2022 में विधानसभा उपचुनाव में रामपुर में बीजेपी की जीत हुई थई। रामपुर में 55 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स होने के बाद भी बीजेपी ने ही यहां पर जीत हासिल की थी। इस सीट को सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान का गढ़ माना जाता है। इसके बाद भी बीजेपी की जीत को रामपुर मॉडल कहा जाता है। जिसके आधार पर कुंदरकी में बीजेपी की जीत के अनुमान और दावे लगाए जा रहे हैं। साथ ही नतीजों को देखते हुए ये दावे सही होते नजर आ रहे हैं।

कुंदरकी में सबसे ज्यादा वोटिंग

यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनावों में सबसे ज्यादा कुंदरकी में ही वोटिंग हुई है। यहां पर 57.7 प्रतिशत तक वोटिंग हुई है। बीजेपी ने दावा किया है कि उनके उम्मीदवार रामवीर सिंह ठाकुर को इस बार मुसलमानों की तरफ से भर-भरकर वोट दिए गए हैं।

मुस्लिम वोटों के बंटने से सपा पीछे

ऐसा माना जा रहा है कि, हिंदू वोटर्स के क्षेत्र में वोटिंग हुई है और मुस्लिम वोटर्स वाले इलाकों में वोटिंग नहीं हुई है। जहां पर बीजेपी और सपा की कांटे की टक्कर मानी जा रही थी। लेकिन मुस्लिम वोटों के बंटवारे से बीजेपी की जीत ही मानी जा रही है। इसके पीछे मुसलमानों की बड़ी संख्या ना होना भी एक वजह मानी जा रही है।

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