तैयारी: कश्मीर और लद्दाख के कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 10 सुरंग बनाने की योजना बना रही मोदी सरकार
तैयारी: कश्मीर और लद्दाख के कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 10 सुरंग बनाने की योजना बना रही मोदी सरकार
- 17 हजार फीट के स्तर पर होंगी सुरंगें
- श्रीनगर को कारगिल
- द्रास और लेह से जोड़ने के लिए सुरंग का काम शुरू
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की लद्दाख और कश्मीर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 10 सुरंग बनाने की योजना है, जिससे पूरे साल सेना की सुगम आवाजाही सुनिश्चित हो सके। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 100 किलोमीटर से अधिक लंबी कुल 10 सुरंगें बनाए जाने की योजना है। सीमा सड़क संगठन (BRO) ने लद्दाख और कश्मीर के लिए सभी मौसम कनेक्टिविटी बढ़ाने और दोनों क्षेत्रों में आगे के क्षेत्रों के लिए आठ सुरंगों का प्रस्ताव दिया है।
17 हजार फीट के स्तर पर होंगी सुरंगें
एक सूत्र ने कहा कि कुछ सुरंगें 17,000 फीट के स्तर पर होंगी, जिससे आगे के स्थानों को जोड़ा जा सकेगा। इनमें से एक सात किलोमीटर लंबी खारदुंग ला सुरंग होगी, जो लेह को नुब्रा घाटी से जोड़ेगी। यह लद्दाख का एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो चीन और पाकिस्तान दोनों से लगता है। एक अन्य आठ किलोमीटर की सुरंग होगी, जो कि 17,580 फीट की ऊंचाई पर होगी। यह कारू को लद्दाख में टंगस्टे से जोड़ेगी और पैंगॉन्ग झील के करीब के क्षेत्रों में सभी प्रकार के मौसम में आवाजाही को सुनिश्चित करेगी।
श्रीनगर को कारगिल, द्रास और लेह से जोड़ने के लिए सुरंग का काम शुरू
लद्दाख से साल भर की कनेक्टिविटी के लिए शंकु ला पास के माध्यम से निम्मू-दारचा-पदम रोड पर एक और सुरंग पाइपलाइन में है। यह सात किलोमीटर लंबी सुरंग 16,703 फीट की ऊंचाई पर बनेगी। इसके अलावा श्रीनगर को कारगिल, द्रास और लेह से जोड़े रखने के लिए 11,500 फीट के जोजिला र्दे से 14 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण शुरू हो गया है। एक और प्रस्तावित सुरंग है, जिसके 17,800 फीट की ऊंचाई पर बनाए जाने की योजना है। यह पूर्वी लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और डेपसांग को वैकल्पिक कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
मनाली-लेह राजमार्ग और कश्मीर के गुरेज से भी कनेक्टिविटी के लिए भी सुरंग की योजना
डीबीओ और डेपसांग ऐसे क्षेत्र हैं, जहां चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ भारत का गतिरोध बना हुआ है, जिसकी शुरुआत इस साल मई में ही हो गई थी। इसके अलावा मनाली-लेह राजमार्ग और कश्मीर के गुरेज से भी कनेक्टिविटी के लिए सुरंग की आवश्यकता है। इन इलाकों में भी सभी मौसम के लिहाज से काम आने वाली सुरंग बनाए जाने की योजना है।