तीसरे मोर्चे की खबरों को पीके ने किया खारिज, पवार-ममता की उम्मीदों पर फिरा पानी!
तीसरे मोर्चे की खबरों को पीके ने किया खारिज, पवार-ममता की उम्मीदों पर फिरा पानी!
- तीसरे मोर्चे पर प्रशांत किशोर का बड़ा बयान
- मुलाकात के बाद तीसरे मोर्चे को मिला बल
- शरद पवार से दोबार मुलाकात कर चुके हैं पीके
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। तकरीबन 24 घंटे पहले तक एक देश में तीसरे मोर्चा बनने की खबरें जोरों पर थीं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बीजेपी और कांग्रेस छोड़ सभी दलों की एक बैठक बुलाई। जिसके बाद से इन खबरों ने जोर पकड़ा कि शरद पवार की अगुवाई में एक नया मोर्चा बनने जा रहा है। जो साल 2024 में होने वाले आम चुनाव में बीजेपी को बड़ी टक्कर देने वाला है। पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इन सारे दावों की हवा निकाल दी है।
प्रशांत किशोर ने क्या कहा?
तीसरा मोर्चा बनने की खबरों के बीच चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इन खबरों को महज अटकलें ही करार दिया है। बकौल प्रशांत किशोर तीसरा या चौथा मोर्चा कुछ भी बन जाए बीजेपी को हराना फिलहाल मुश्किल है। एक निजी चैनल से चर्चा में प्रशांत किशोर ने कहा कि तीसरा मोर्चा जांचा परखा है जिसे देखकर ऐसा नहीं लगता कि वो मौजूदा राजनीतिक हालात में बीजेपी को टक्कर दे सकता है। इन अटकलों ने तब जोर पकड़ा जब शरद पवार और प्रशांत किशोर बीते दस दिनों में दो बार मीटिंग कर चुके हैं। उसके बाद से ये अटकलें तेज हो गईं।
तीसरा मोर्चा क्यों नहीं?
बैठक के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि एक दूसरे को समझने के लिए ये मुलाकातें हो रही हैं। आपको बता दें शरद पवार के मुम्बई आवास पर दोनों के बीच बैठकें हुईं। जिनमें से एक बैठक तकरीबन तीन घंटे लंबी चली। फिलहाल मुम्बई में चुनाव नजदीक नहीं है। ऐसे में पवार और पीके की मुलाकात से ये सवाल उठने लाजमी थे कि दोनों के बीच क्या खिचड़ी पक रही है। इन मुलाकातों के बाद शरद पवार का दूसरे दलों के प्रमुखों के साथ बैठक करना भी महज इत्तेफाक नहीं माना जा रहा है। पर जब तीसरे मोर्चे की अटकलों को पीके ने खारिज किया उसके बाद से सियासी गलियारों में ये अटकलें तेज हो गई हैं कि फिलहाल मोदी सरकार की लोकप्रियता को देखकर पीके ने तीसरे मोर्चे से खुद को पीछे खींच लिया है। जिसके बाद ये भी माना जा रहा है कि इससे पवार और ममता बनर्जी जैसे नेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। जो तीसरे मोर्चे के हिमायती हैं।
पर, ये राजनीति की दुनिया है जहां सियासी समीकरण हर पल बदलते हैं। ऐसे में कब किसका पलड़ा भारी हो जाए ये कहा नहीं जा सकता।