RTI में खुलासा: 4 महीने में गुजरातियों ने सरेंडर किया 18,000 करोड़ कालाधन
RTI में खुलासा: 4 महीने में गुजरातियों ने सरेंडर किया 18,000 करोड़ कालाधन
- पुरानी अघौषित प्रॉपर्टी का कर सकते थे खुलासा
- भरत सिंह झाला नामक युवक ने लगाई थी RTI
- सरकार ने नोटबंदी के बाद चलाई थी योजना
डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। नोटबंदी के बाद सरकार ने क्षमादान योजना (इनकम डिक्लेरेशन) योजना चलाई थी। इस योजना के तहत कोई भी अपनी उस काली कमाई का खुलासा कर सकता है, जिसका जिक्र उसने अपने पुराने रिटर्न में नहीं किया है। इसमें खुलासे वाली रकम में से 45 प्रतिशत रकम सरकार आयकर और सेस मानकर काट लेती थी, तो वहीं बाकी रकम खुलासा करने वाले व्यक्ति को वापस दे दी जाती थी। इस योजना के तहत गुजरातियों ने 4 महीने में 18,000 करोड़ रुपए का खुलासा किया है।
भरत सिंह को आरटीआई के जरिए ये जानकारी निकालने में 2 साल का वक्त लगा है। अहमदाबाद के भरत शाह ने जब खुद के पास 13 हजार 860 करोड़ के कालाधन होने की बात सार्वजनिक की तो भरत सिंह के दिमाग में ये जानने का ख्याल आया कि पूरे गुजरात में कितना कालाधन जमा हुआ है। ये जानकारी उन्हें काफी मुश्किलों के बाद मिली है। झाला ने बताया कि सबसे पहले उनके आवेदन को गलत पते पर भेज दिया गया। इसके बाद विभाग ने ये कहते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया कि आवेदन गुजराती भाषा में है। इस साल 5 सितंबर को मुख्य सूचना आयुक्त दिल्ली के आदेश के बाद उन्हें जानकारी मिल सकी।
गुजरात के लोगों ने 18,000 करोड़ रुपए का कालाधन जून से लेकर सितंबर 2016 के बीच में जमा किया है। महेश शाह के 13 हजार 860 करोड़ रुपए के कालेधन के खुलासे के बाद ये मामला सामने आया है। भरत सिंह झाला नामक व्यक्ति द्वारा लगाई गई आरटीआई में ये बात सामने आई है। इनकम टैक्स विभाग ने आरटीआई के जवाब में बताया है कि जून 2016 से सितंबर 2016 के बीच 18,000 करोड़ के कालेधन की जानकारी मिली है। जो पूरे देश से सामने आए (65,250 करोड़) कालेधन का 29 प्रतिशत है।