Live: चंद्रयान 2 का लिफ्ट ऑफ होल्ड पर, रात 2 बजकर 51 मिनट पर होनी थी लॉन्चिंग

Live: चंद्रयान 2 का लिफ्ट ऑफ होल्ड पर, रात 2 बजकर 51 मिनट पर होनी थी लॉन्चिंग

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-14 03:43 GMT
हाईलाइट
  • 55 दिन में चंद्रयान-2 के 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरने की संभावना
  • मिशन चंद्रयान-2 कल होगा लॉन्च
  • लॉन्चिंग के लिए भारत के सबसे ताकतवर रॉकेट GSLV MK-3 का होगा इस्तेमाल

डिजिटल डेस्क, श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की चंद्रमा पर भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण कुछ ही देर में होगा। GSLV-MKIII के लिए उलटी गिनती, जिसे चंद्रयान-2 को जियो ट्रांसफर ऑर्बिट में ले जाना है, रोक दी गई है। हालांकि लॉन्च के लिए निर्धारित समय 2.51 है, इसरो की ओर से कहा गया है कि चंद्रयान 2 के लिफ्ट ऑफ को फिलहाल होल्ड पर रखा गया हैं।

 

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20 घंटों की उलटी गिनती रविवार सुबह शुरू हो गई थी।  चेयरमैन डॉक्टर के. सिवन ने बताया था कि चंद्रयान का प्रक्षेपण 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जाएगा। सफल प्रक्षेपण की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं और सभी उपकरणों की जांच का काम भी पूरा हो चुका है। 

मिशन के लिए भारत के सबसे ताकतवर रॉकेट GSLV MK-3 का इस्तेमाल हो रहा है। सफल लॉन्चिंग के बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-2 के लैंड करने में करीब 2 महीने का वक्त लगेगा। लॉन्च के सफल होने के बाद करीब 55 दिन में चंद्रयान-2 के 6 सितंबर को चांद की सतह पर उतरने की संभावना है।चंद्रयान-2 मिशन पर 978-1000 करोड़ रुपये के बीच लागत आई है। अगर मिशन सफल हुआ तो अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत चांद पर रोवर उतारने वाला चौथा देश होगा। 

11 साल बाद इसरो चंद्रमा की सतह को खंगालने की तैयारी कर रहा है।  चंद्रयान-2 से पहले चंद्रयान-1 का सफल प्रक्षेपण किया जा चुका है। जिसे 22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च किया गया था, लेकिन तब भारत ने चांद पर क्रैश लैंडिंग कराई थी जिसे हार्ड लैंडिंग भी कहा जाता है। चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी की खोज की थी, जो बड़ी उपलब्धि थी। यही वजह है कि भारत ने दूसरे मून मिशन की तैयारी की। चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा जहां उम्मीद है कि बहुतायत में पानी मौजूद हो सकता है। 

इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पानी के प्रसार और मात्रा का निर्धारण। चंद्रमा के मौसम, खनिजों और उसकी सतह पर फैले रासायनिक तत्‍वों का अध्‍ययन करना और चांद की सतह की मिट्टी के तत्वों का अध्ययन करना है। इसके साथ ही हिलियम-3 गैस की संभावना तलाशेगा जो भविष्य में ऊर्जा का बड़ा स्रोत हो सकता है। 

चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं। पहला हिस्से का नाम ऑर्बिटर, दूसरा लैंडर (विक्रम) और तीसरा रोवर (प्रज्ञान) हैं। इस प्रोजेक्ट की लागत 978-1000 करोड़ रुपए के बीच है। 9 से 16 जुलाई के बीच चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी 384400 किलोमीटर रहेगी। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 लूनरक्राफ्ट नासा के एक पैसिव एक्सपेरिमेंटल इंस्ट्रूमेंट को चांद पर ले जाएगा। अमेरिकी एजेंसी इस मॉड्यूल के जरिए धरती और चांद की दूरी को नापने का कार्य करेगी। इसके साथ ही विदेशी प्रायोगिक मॉड्यूल के अलावा चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्राज्ञन) है। चंद्रयान-2 इस मिशन में 13 भारतीय पेलोड को लेकर जाएगा जो विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे और चांद की तस्वीरें लेंगे। 

 

 

 

 

 


 

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