परिवार बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट ने कैदी को दी छुट्टी, उम्रकैद की सजा में है बंद
परिवार बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट ने कैदी को दी छुट्टी, उम्रकैद की सजा में है बंद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट ने एक कैदी को परिवार बढ़ाने के लिए 2 हफ्ते की छुट्टी दी है। 40 साल का ये कैदी तमिलनाडु के तिरुनलवेली जिले की सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। इस कैदी का नाम सिद्दीक अली बताया जा रहा है। इस कैदी की पत्नी ने हाईकोर्ट में पिटीशन फाइल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये फैसला दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने सुझाव देते हुए कहा है कि ऐसे मामलों के लिए एक कमेटी बनाई जानी चाहिए।
हाईकोर्ट ने क्या कहा ?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस टी कृष्ण वल्ली और जस्टिस विमला देवी की बेंच ने पलयमकोट्टई सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी सिद्दीक अली को परिवार बढ़ाने के लिए 2 हफ्ते की छुट्टी दी है। इस कैदी की पत्नी ने "बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका" हाईकोर्ट में दायर की थी। इस पिटीशन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि "अब वक्त आ गया है कि सरकार एक कमेटी बनाए, जो कैदियों को साथी के साथ रहने और संबंध बनाने की मंजूरी देने पर विचार करे। कई देशों में कैदियों को ऐसे अधिकार दिए गए हैं।" कोर्ट ने ये भी कहा कि "केंद्र सरकार पहले ही उस प्रपोजल को मंजूरी दे चुकी है, जिसमें कहा गया था कि पति-पत्नी को संबंध बनाने का अधिकार है, ना कि विशेषाधिकार। इसलिए कैदियों को भी अपनी इच्छा पूरी करने का अधिकार है।"
अपराधिक आदतों में भी आएगी कमी
इसके आगे मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि "कुछ देशों में कैदियों के सेक्शुअल राइट्स को मान्यता दी गई है। अगर कैदियों की संख्या ज्यादा है, तो सरकार को ऐसी परेशानियों से निपटने के लिए समाधान तलाशने चाहिए।" कोर्ट ने आगे कहा कि "पति-पत्नी के बीच इस तरह के संबंध बने रहने से परिवार के साथ रिश्ते कायम रखने में भी मदद मिलती है। साथ ही इससे आपराधिक आदतों में भी कमी आती है।"
और मिल सकती है 2 हफ्ते की छुट्टी
हाईकोर्ट ने कहा कि "इस मामले की शुरुआती जांच में ये पता चला है कि कैदी सिद्दीक अली परिवार बढ़ा सकता है। इसको रिहा करने के बाद मेडिकल चेकअप के लिए 2 हफ्ते की और छुट्टी देने के बारे में भी सोचा जा सकता है।" कोर्ट ने इस मामले में जेल अधिकारियों को आदेश देते हुए प्रक्रिया में पालन करने को कहा है। साथ ही ये भी कहा कि कैदी जब तक जेल से बाहर रहेगा, तब तक उसे सुरक्षा दी जाएगी।