कश्मीर केंद्रित पाक आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद अफगानिस्तान में सक्रिय, दो दिनों में 13 पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए
कश्मीर केंद्रित पाक आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद अफगानिस्तान में सक्रिय, दो दिनों में 13 पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए
- इसका सरगना मसूद अजहर है
- इसके साथ ही इस कार्रवाई में 18 अफगान तालिबानी आतंकवादी भी मारे गए
- प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन भारत में प्राय: नागरिकों और सैनिकों को निशाना बनाता है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। भारत के कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाला पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद अफगानिस्तान में भी सक्रिय है। बीते दो दिनों के अंदर, कम से कम जैश के 13 पाकिस्तानी आतंकवादी देश के खोगयानी जिले में अफगानी सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए हैं। प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन भारत में प्राय: नागरिकों और सैनिकों को निशाना बनाता है। इसका सरगना मसूद अजहर है। फरवरी 2019 में, दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में जैश के एक आत्मघाती हमलवार ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया था, जिसमें हमारे 40 जवान शहीद हो गए थे। भारत ने इसका बदला बालाकोट में जैश के आतंकी ठिकाने पर सर्जिकल स्ट्राइक करके लिया था।
सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत और अफगानिस्तान में आतंकी संरचना को फिर से संगठित कर रहा है। आईएसआई का काम इस्लामी आतंकी समूहों को प्रशिक्षण देना, हथियार देना और उन्हें धन देना है। एक संयुक्त अभियान में, नेशनल डाइरेक्टोरेट ऑफ सिक्युरिटी(एनडीएस) और अफगान नेशनल सिक्युरिटी फोर्सेस (एएनएसएफ) ने 13 जैश आतंकवादियों को मार गिराया और एक आतंकवादी को गिरफ्तार कर लिया। सेना ने यह संयुक्त कार्रवाई देश में खोगयानी जिले के मिर्जा खेल में की। इसके साथ ही इस कार्रवाई में 18 अफगान तालिबानी आतंकवादी भी मारे गए।
अभियान अभी भी जारी है। 29 जून को, अफगान सुरक्षा बलों ने एक और कश्मीर केंद्रित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक कैंप को अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर तबाह कर दिया था और इस कार्रवाई में लश्कर के दो आतंकवादी मारे गए थे। काबुल में मौजूद सूत्रों ने कहा कि मारे गए दो आतंकवादियों में से एक अबु बकर था, जो कि पाकिस्तान में खबर एजेंसी का लश्कर कमांडर है। कैंप में ताबिलानी आतंकवादी भी मौजूद थे।
सूत्रों ने कहा कि अफगान खुफिया के पास विश्वसनीय जानकारी थी कि लश्कर और तालिबान ने अफगान बलों पर हमला करने के लिए सीमा के पास वरगा व तोरदराह में कैंप स्थापित किए थे। अभियान के बाद, कई लश्कर और तालिबान आतंकवादी अपने वाहनों से पाकिस्तान की सीमा की तरफ भाग गए। जून में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि न केवल तालिबान और अलकायदा एक-दूसरे को सहयोग कर रहे हैं, बल्कि कश्मीर केंद्रित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा अफगानिस्तान में लक्षित हत्याओं के लिए प्रशिक्षित आतंकवादियों को भेज रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि अफानिस्तान में 6500 पाकिस्तानी आतंकवादी हैं, जिसमें से 1000 जैश और लश्कर से जुड़े आतंकवादी हैं।