ओमिक्रोन के बावजूद भारतीय अभी भी लापरवाह
कोरोना विस्फोट ओमिक्रोन के बावजूद भारतीय अभी भी लापरवाह
- ओमिक्रोन के बावजूद भारतीय अभी भी लापरवाह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट का साया अब पूरे देश पर पड़ चुका है और इसकी संक्रमण दर में प्रतिदिन इजाफा हो रहा हैं लेकिन इसके बावजूद लोग लापरवाही दिखा रहे हैं ।
आईएएनएस-सीवोटर -ओमिक्रोन सर्वेक्षण में लगभग 1942 लोगों से कोरोना से बचने संबंधी मानकों के पालन के बारे में जब पूछा गया तो उनके जवाब काफी चौंकाने वाले रहे जो कोरोना से बचने के उनके लापरवाह रवैये को दर्शाता है। इस सर्वेक्षण में शामिल उत्तरदाताओं से जब मास्क पहनने और अन्य एहतियात बरतने के बारे में पूछा गया तो केवल 21.8 प्रतिशत ने माना कि वे मॉस्क पहनने और अन्य प्रकार की सावधानियां बरत रहे थे।
इसमें शामिल 41.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि केवल कुछ समय के लिए मास्क पहना और अन्य सावधानी बरती तथा 33.8 प्रतिशत ने माना कि अधिकतर समय उन्होंने इनका पालन नहीं किया तथा प्रत्येक चार में से तीन भारतीय ने कहा कि वे कोरोना से बचाव संबंधी मानकोंे का पालन नही कर रहे थे।
सरकार,वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की तरफ से लगातार दी जा रही चेतावनी के बावजूद लोग इस बार ओमिक्रोन को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं जबकि देश में कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है तथा यह अपने पीक की तरफ जा रही है।
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों के हाल में किए गए एक शोध में कहा गया है कि भारत में इसकी पीक फरवरी के पहले से दूसरे हफ्ते के बीच कभी भी आ सकती है। यह बात भी पूरी तरह वैज्ञानिक आधार पर स्थापित हो चुकी है कि ओमिक्रोन उन लोगों में भी संक्रमण फैला सकता है जिन्हें कोरोना की दोनों डोज लग चुकी हैं।
देश के महानगरों में कोरोना संक्र मण के मामलों में जोरदार बढ़ोत्तरी हो रही है और दिल्ली तथा मुंबई में ओमिक्रोन के मामलों में जबर्दस्त इजाफा हुआ हैं। राजधानी दिल्ली में जनवरी माह में संक्रमण दर काफी अधिक है और इस समय यहां 150 मरीजों को आक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है जबकि 22 मरीज वेंटीलेटर पर हैं।
अगर लोगों की ओमिक्रोन को लेकर यही सोच बनी रही कि इसके लक्ष्ण अधिक घातक नहीे है और वे इस संक्रमण को हल्के में लेते रहे तो आने वाले समय में इसके कारण होने वाली बढ़ोत्तरी से अस्पतालों में मरीजों को संभालना डाक्टरों के लिए मुश्किल हो जाएगा।
यह आशंका भी जताई जा रही है कि आने समय में यह और गंभीर वायरस के रूप में तब्दील होकर ज्यादा घातक हो सकता है जैसा पिछले वर्ष डेल्टा संक्रमण के दौरान हुआ था।
आईएएनएस