चीन, अमेरिका की तुलना में रक्षा अनुसंधान व विकास खर्च में भारत बहुत पीछे
रिपोर्ट में किया गया दावा चीन, अमेरिका की तुलना में रक्षा अनुसंधान व विकास खर्च में भारत बहुत पीछे
- आवंटन वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान आवंटन से भी कम है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बढ़ते खतरे की आशंका के बीच भारत रक्षा अनुसंधान और विकास पर खर्च के मामले में चीन और अमेरिका जैसे देशों की तुलना में काफी पीछे है। एक संसदीय पैनल ने यह बात बुधवार को अपनी रिपोर्ट में कही।डीआरडीओ के लिए अनुदान की मांगों पर स्थायी समिति की रिपोर्ट बुधवार को संसद में पेश की गई, जिसमें चिंता व्यक्त की गई कि पिछले वर्षो के दौरान समग्र जीडीपी में रक्षा अनुसंधान और विकास के खर्च के प्रतिशत में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, वास्तव में 2016-17 में प्रतिशत 0.088 प्रतिशत था, जो 2020-21 में घटकर 0.083 प्रतिशत हो गया।पैनल ने भारत और अन्य विकसित देशों के कुल रक्षा व्यय के साथ अनुसंधान एवं विकास पर व्यय का विश्लेषण किया।
रिपोर्ट में कहा गया है, आर एंड डी पर कुल रक्षा व्यय के खर्च के विश्लेषण में यह चीन जैसे अन्य विकसित देशों की तुलना में बहुत कम पाया गया, जो कि 20 प्रतिशत है और संयुक्त राज्य अमेरिका अपने अपने रक्षा बजट की तुलना में अनुसंधान एवं विकास पर 12 प्रतिशत खर्च कर रहा है।
समिति का विचार है कि मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य को देखते हुए, जहां दुनियाभर में चल रहे संघर्षो के कारण खतरे की धारणा बढ़ रही है, राष्ट्रीय सुरक्षा हित को सर्वोपरि रखना जरूरी है।इसलिए, पैनल ने सिफारिश की कि रक्षा अनुसंधान के लिए पर्याप्त धन मुहैया कराया जाना चाहिए, ताकि रणनीतिक परियोजनाओं को पूरी ताकत के साथ शुरू किया जा सके।
डीआरडीओ के बजटीय आवंटन को देखते हुए पैनल ने नाखुशी जाहिर की। वित्तवर्ष 2022-2023 में डीआरडीओ को बजटीय आवंटन में 1659.80 करोड़ रुपये की कमी है, संसद पैनल ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया कि इससे संगठन की परिचालन आवश्यकताओं और अनुसंधान और विकास गतिविधियों में समझौता होना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षो में डीआरडीओ का बजट रक्षा बजट का लगभग 5-6 प्रतिशत रहा है।हालांकि, यह बढ़ नहीं रहा है और मुद्रास्फीति की लागत के अनुरूप है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि एक बड़ी राशि रणनीतिक योजनाओं और सीसीएस परियोजनाओं और कार्यक्रमों, वेतन और भत्ते और अन्य गैर-वेतन राजस्व व्यय के लिए खर्च की जाती है, जिनमें से प्रत्येक जो अनिवार्य रूप से हर साल बढ़ता रहता है।
वित्तवर्ष 2021-22 में डीआरडीओ ने 23460.44 करोड़ रुपये की राशि का अनुमान लगाया था, जबकि अंतिम आवंटन 18,227.44 करोड़ रुपये था, जो कि प्रारंभिक अनुमान से 5122.56 करोड़ रुपये कम है।यह आवंटन वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान आवंटन से भी कम है।
2022-23 के बजट अनुमान में डीआरडीओ ने 22,990 करोड़ रुपये की मांग की है, जबकि किया गया आवंटन 21,330.20 करोड़ रुपये है। इस प्रकार आवंटन में 1659.80 करोड़ रुपये की कमी है।पैनल ने कहा कि डीआरडीओ को बजट आवंटन में कटौती से संगठन की परिचालन जरूरतों और अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में समझौता नहीं होना चाहिए।पैनल ने सिफारिश की कि डीआरडीओ को संशोधित अनुमानों पर अतिरिक्त धन की तलाश करनी चाहिए, ताकि इसकी अनुसंधान और विकास गतिविधियां निर्धारित समय सीमा के अनुसार आगे बढ़ें।
(आईएएनएस)