श्रम न्यायालयों, औद्योगिक न्यायाधिकरणों की संख्या बढ़ाने के लिए दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
नई दिल्ली श्रम न्यायालयों, औद्योगिक न्यायाधिकरणों की संख्या बढ़ाने के लिए दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
- 18 मई को अगली सुनवाई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को श्रम न्यायालयों और औद्योगिक न्यायाधिकरणों की संख्या बढ़ाने और वहां रिक्त पदों पर पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति करने के निर्देश की मांग वाली याचिका पर दिल्ली सरकार और अन्य से जवाब मांगा। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई 18 मई को तय की है।
याचिकाकर्ता लेबर लॉ एसोसिएशन के अनुसार, दिल्ली में खाली श्रम न्यायालयों और औद्योगिक न्यायाधिकरणों की पुरानी समस्या के परिणामस्वरूप विवादों के निपटारे में अनावश्यक देरी हुई है और विवादों की पेंडेंसी (लंबित रहना) में वृद्धि हुई है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए अधिवक्ता राजीव अग्रवाल और मेघना डे ने तर्क दिया कि इस तरह की देरी और लंबे समय तक लंबित रहने से वादियों को अनुचित कठिनाई होती है और यह पार्टियों (पक्ष) की पीड़ा को भी बढ़ाता है, विशेष रूप से गरीब मुकदमेबाजी करने वाले कामगारों को इससे दिक्कत होती है।
याचिका के अनुसार, 10 श्रम न्यायालयों और 3 औद्योगिक न्यायाधिकरणों की स्वीकृत संख्या के बावजूद, प्रतिवादियों ने बिना किसी पूर्व सूचना के श्रम न्यायालयों और औद्योगिक न्यायाधिकरणों को कम कर दिया है। 2017 में, जब श्रम न्यायालयों और औद्योगिक न्यायाधिकरणों को कड़कड़डूमा जिला न्यायालय परिसर से द्वारका जिला न्यायालय परिसर में स्थानांतरित किया गया था, तब 9 श्रम न्यायालय और 2 औद्योगिक न्यायाधिकरण कार्य कर रहे थे।
इसमें दलील दी गई है कि हालांकि, अचानक आठ महीने बाद, केवल पांच श्रम न्यायालय और एक औद्योगिक न्यायाधिकरण कार्य कर रहे थे। याचिकाकर्ता ने बताया कि अभी भी केवल 9 श्रम न्यायालय और 2 औद्योगिक न्यायाधिकरण कार्य कर रहे हैं, जो अभी भी स्वीकृत संख्या से कम है।
(आईएएनएस)