सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 5% बढ़ा, क्या इकोनॉमी को मिलेगी मदद?

सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 5% बढ़ा, क्या इकोनॉमी को मिलेगी मदद?

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-09 11:48 GMT
सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 5% बढ़ा, क्या इकोनॉमी को मिलेगी मदद?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को महंगाई भत्ता (या DA) को बढ़ाने का फैसला किया। इस बढ़ोतरी के बाद 50 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगियों को अपने मूल वेतन का 12% के बजाय 17% DA के रूप में रूप में मिलेगा। डीए में बढ़ोतरी जुलाई से लागू होगी। यानी कर्मचारियों और पेंशनरों को 3 महीने का एरियर मिलेगा। सरकार के इस फैसले से अर्थव्यवस्था पर इसका क्या प्रभाव पढ़ेगा? पढ़िए इस रिपोर्ट में:

DA क्या है और इसकी गणना कैसे की जाती है?
डीए सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों को बढ़ती कीमतों के प्रभाव को मैनेज करने के लिए प्रदान किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि वार्षिक मुद्रास्फीति 5% है, तो इसका मतलब है कि पहले साल में जिस वस्तु की कीमत 100 रुपये थी, दूसरे वर्ष में उसकी कीमत बढ़कर 105 रुपये हो गई। यदि कर्मचारी का वेतन उसे उस वस्तु पर 100 रुपये खर्च करने की अनुमति देता है, तो वह उस वस्तु को पहले वर्ष में खरीद सकेगा।

हालांकि दूसरे वर्ष में कर्मचारी के लिए उस वस्तु को खरीदने के लिए 100 रुपए पर्याप्त नहीं होंगे। क्योंकि 5% की महंगाई दर के चलते दूसरे वर्ष में उस वस्तु की कीमत बढ़कर 105 रुपए हो जाएगी। इस अंतर की भरपाई करने के लिए सरकार अपने कर्मचारियों को डीए का भुगतान करती है। डीए की गणना करने के लिए, सरकार आम तौर पर ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स की आधारित महंगाई दर का उपयोग करती है। अधिक प्रभावशीलता के लिए, DA को वर्ष में दो बार संशोधित किया जाता है।

DA बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?
डीए में बढ़ोतरी से सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ जाएगी। यदि यह अतिरिक्त पैसा खर्च किया जाता है, तो यह कंज्यूमर डिमांड पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा, जो अभी अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी समस्या है। हालांकि, प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या और किस हद तक - कर्मचारी वास्तव में इस पैसे को खर्च करते हैं।

कर्मचारियों के पास इस अतिरिक्त रकम को बैंक में जमा करने का भी विकल्प है लेकिन यह देखते हुए कि शॉर्ट टर्म जमा दरों में कटौती की जा रही है, ऐसा लगता है कि लोग बचत करने के बजाय खर्च करना ज्यादा पसंद करेंगे। हालांकि अगर कर्मचारी इन पैसों को बैंकों में भी रखते हैं तो फिर यह बैंकिंग सिस्टम में पैसों के फ्लो को बढ़ाएगी जिससे इकोनॉमी को मदद मिलेगी।

क्या इसका एक नकारात्मक पहलू भी है?
हां इसका एक नकारात्मक पहलू भी है। यह धनराशि सरकार के खजाने से निकलेगी। यह सरकार के पास उपलब्ध संसाधनों को प्रभावित करेगा, यह आर्थिक गतिविधियों को बाधित करेगा। उदाहरण के लिए, मौजूदा परिस्थितियों में, जब सरकार को राजस्व जुटाने में मुश्किल हो रही है, तो डीए के लिए एक अतिरिक्त आउटगो या तो सरकार को बाजार से पैसा उधार लेना हो गा या फिर सड़क स्कूलों पर खर्च किए जाने वाली रकम से इसे जुटाया जाएगा। सरकार के इस फैसले से सरकारी खजाने पर 16 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने की उम्‍मीद है।

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