डेंगू से बच्ची की मौत,अस्पताल ने पिता को थमाया 16 लाख का बिल
डेंगू से बच्ची की मौत,अस्पताल ने पिता को थमाया 16 लाख का बिल
डिजिटल डेस्क,गुरुग्राम। दिल्ली से सटे गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में डेंगू से पीड़ित 7 साल की बच्ची की मौत हो गई। बच्ची 2 हफ्ते तक ICU में एडमिट रही और अस्पताल ने बच्ची के माता-पिता को 16 लाख का बिल पकड़ा दिया। मासूम आध्या सिंह को 15 सितंबर को मृत घोषित कर दिया गया था। आध्या के पिता जयंत सिंह अस्पताल की मनमानी फीस वसूलने से नाराज हैं। जयंत सिंह ने मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए कि आखिर उसका कौन सा इलाज किया गया, जिसमें इतने पैसे खर्च हुए? मामले पर स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा परिवार के समर्थन में आए हैं। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, "मुझे hfwminister@gov.in पर डिटेल भेजिए, हम इस पर जरूरी कार्रवाई करेंगे।
Please provide me details on hfwminister@gov.in .We will take all the necessary action. https://t.co/dq273L66cK
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) November 20, 2017
वहीं सोशल मीडिया पर इस मुद्दे के उठने और परिजनों की मांग पर स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि अगर गलत चार्ज किया गया है तो इस मामले की पूरी जांच कराई जाएगी। दूसरी तरफ फोर्टिस ने अपनी तरफ से किसी भी गड़बड़ी को खारिज किया। अस्पताल ने बताया कि बच्ची आध्या सिंह के इलाज में पूरे स्टैंडर्ड मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन किया गया और सभी क्लीनिकल गाइडलाइंस का ध्यान रखा गया। उसने अपनी पूरी रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्री को दी है। रिपोर्ट के साथ हॉस्पिटल ने 15.79 लाख का बिल भी भेज दिया है।
(बच्ची के पिता जयंत सिंह ने हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।)
आध्या को स्वाइन फ्लू के पेशेंट के साथ रखा गया
आध्या के पिता जयंत ने बताया कि आध्या को 27 अगस्त की रात तेज बुखार था और वो द्वारका के सेक्टर 12 के रॉकलैंड हॉस्पिटल में भर्ती थी। जयंत ने कहा, आध्या को उस कमरे में रखा गया, जहां उसके बराबर में स्वाइन फ्लू का मरीज लेटा था। हमने विरोध कर उसका कमरा बदलवाया।" 31 अगस्त को उसको गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके बाद भी हालत में सुधार नहीं हुआ तो उसको वेंटिलेटर पर रखा गया। उसको 10 दिनों तक इसी प्रकार रखा गया और इस दौरान परिवार से भारी बिल थमाया गया।
उसके बाद 14 सितंबर को जब एमआरआई हुआ तो पता चला कि मस्तिष्क बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। डॉक्टरों ने भी उम्मीद छोड़ दी। हमने उसको दूसरे अस्पताल ले जाने की ठानी और फिर रॉकलैंड अस्पताल लाए, जहां 14-15 सितंबर की रात को आध्या की मौत हो गई. आद्या के पिता ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उन्होंने बच्ची के इलाज के लिए इस दौरान पांच लाख का पर्सनल लोन लिया। इसके अलावा परिवार और अपनी बचत को मिलाकर बिल भरा।
मामला तब सामने आया जब 17 नवंबर को आध्या के पिता के दोस्त ने ट्विटर पर लिखा कि मेरे एक बैचमेट की 7 साल की बच्ची 15 दिनों तक फोर्टिस में भर्ती रही। इस दौरान 18 लाख से भी अधिक बिल आया और अंत में उसको बचाया भी नहीं जा सका। इस मैसेज को चार दिनों में नौ हजार से अधिक बार रिट्वीट किया गया और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने पूरी घटना का ब्यौरा मांगते हुए मामले की जांच के आदेश दिए।