farmers protest day 55: अन्नदाता आज मना रहें हैं महिला किसान दिवस, ट्रैक्टर रैली पर SC 20 को करेगा सुनवाई
farmers protest day 55: अन्नदाता आज मना रहें हैं महिला किसान दिवस, ट्रैक्टर रैली पर SC 20 को करेगा सुनवाई
नई दिल्ली (आईएएनएस)। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन 55वें दिन भी जारी है। कृषि सुधार पर तकरार के बीच आंदोलन की राह पकड़े किसानों की अगुवाई करने वाले यूनियन और सरकार में नौ दौर की वार्ता हो चुकी है, फिर भी मन नहीं मिला है। ऐसे में अन्नदाता 18 जनवरी (सोमवार) को महिला किसान दिवस के रूप में मना रहे हैं। आज के दिन कृषि में महिलाओं की अतुलनीय भूमिका और विरोध प्रदर्शन और हर क्षेत्र में महिला एजेंसी का सम्मान करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
सोमवार को महिलाओं द्वारा ही मंच का प्रबंधन किया जाएगा और इस दिन सभी वक्ता महिलाएं होंगी। समाज में महिलाओं के योगदान को प्रदर्शित करते हुए अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगें। दरअसल, नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों के मन में पैदा हुई आशंकाओं का समाधान तलाशने के लिए किसान यूनियनों के नेताओं ने सरकार से कई दौर की वार्ता की, लेकिन सभी बातचीत विफल रही। अब 19 जनवरी को फिर अगले दौर की वार्ता होगी।
कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार लाने के मकसद से केंद्र सरकार ने कोरोना काल में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 लाए।
कर्ज़ मुक्ति, किसान पेंशन, फसल बीमा की मांग हमने छोड़ी। हमारी 4 मांगों में से सरकार ने सिर्फ़ 2 छोटी मांगें मानी हैं। सरकार 2 मांग (MSP और कृषि क़ानून वापसी) पर कह रही है कि किसान मानते नहीं हैं तो यह हास्यास्पद है: किसान नेता दर्शन पाल #farmersrprotest pic.twitter.com/8eQgSMJ5UR
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 17, 2021
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया है। किसान यूनियन सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के पास जाने को तैयार नहीं है और सरकार के साथ वार्ता के जरिए ही समाधान चाहते हैं। ऐसे में वार्ताओं का दौर जारी रहने के इस क्रम में सरकार और किसान यूनियन का मन मिलने का इंतजार है।
बीजेपी के मंत्री ने किसानों को बताया कम्युनिस्ट
वहीं, बीजेपी के केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि किसान यूनियन के कुछ नेता चाहते हैं कि इसका समाधान हो। अगर यूनियन से कम्युनिस्ट निकल जाएं तो कल इसका समाधान हो जाएगा। कम्युनिस्ट, कांग्रेस और कुछ राजनीतिक दल कभी नहीं चाहते कि इसका समाधान हो। किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि "कर्ज़ मुक्ति, किसान पेंशन, फसल बीमा की मांग हमने छोड़ी। हमारी 4 मांगों में से सरकार ने सिर्फ़ 2 छोटी मांगें मानी हैं। सरकार 2 मांग (MSP और कृषि क़ानून वापसी) पर कह रही है कि किसान मानते नहीं हैं तो यह हास्यास्पद है"।
निर्णय लेने का अधिकार दिल्ली पुलिस का है ना कि सुप्रीम कोर्ट का...
दूसरी तरफ, सुप्रीम कोर्ट में किसानों के मामले पर सुनवाई अब बुधवार 20 जनवरी को हो गई। सुप्रीम कोर्ट गणतंत्र दिवस पर किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली पर दिल्ली पुलिस की याचिका पर भी सुनवाई करेगा। किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया है। वहीं सोमवार को दिल्ली पुलिस की याचिकाओं पर सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दिल्ली पुलिस को तय करना है कि किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए या नहीं। शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय लेने का अधिकार दिल्ली पुलिस का है ना कि सुप्रीम कोर्ट का। इस पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है, अच्छी बात है कानून व्यवस्था पुलिस को देखनी चाहिए। वहीं हम कह चुके हैं कि आउटर रिंग रोड पर परेड करेंगे, पुलिस आए बात करे और रास्ता दे।