दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय विमानों पर वीटी लिखे जाने के खिलाफ जनहित याचिका पर केंद्र से विचार करने को कहा
नई दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय विमानों पर वीटी लिखे जाने के खिलाफ जनहित याचिका पर केंद्र से विचार करने को कहा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र से एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने को कहा, जिसमें भारतीय विमानों पर लिखे जाने वाले कॉल साइन वीटी को बदलने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि यह कोड विक्टोरियन टेरिटरी एंड वायसराय टेरिटरी के लिए होता था, जो कि हमें ब्रिटिश राज की विरासत की याद दिलाता है। पीआईएल पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से भारतीय विमानों पर लिखे कोड वीटी को बदलने पर विचार करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि केवल सरकार ही ऐसे मामलों पर कार्रवाई कर सकती है। याचिकाकर्ता भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय को याचिका के साथ सरकार से इसकी गुहार लगाने की स्वतंत्रता देते हुए अदालत ने संबंधित मंत्रालय को उचित समय में कानून के अनुसार इस पर विचार करने का भी निर्देश दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता द्वारा जनहित याचिका को वापस ले ली गई।
जनहित याचिका में, उपाध्याय ने कहा कि संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य होने के नाते, कॉल साइन वीटी संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत गारंटीकृत भारतीयों के कानून, स्वतंत्रता के अधिकार और सम्मान के अधिकार के विपरीत है। इसमें आगे कहा गया है कि इस वीटी कोड का अर्थ विक्टोरियन टेरिटरी एंड वायसराय टेरिटरी है, जो राष्ट्रीयता कोड है, जिसे भारत में पंजीकृत प्रत्येक विमान पर लिखा जाना आवश्यक है। यह कोड आमतौर पर पीछे के निकास द्वार के ठीक पहले और खिड़कियों के ऊपर लिखा हुआ देखा जा सकता है।
सभी घरेलू एयरलाइनों में यह कोड होता है, जिसके बाद अद्वितीय अक्षर होते हैं जो विमान को परिभाषित करते हैं और यह किससे संबंधित है। उदाहरण के लिए, इंडिगो की उड़ानों में पंजीकरण वीटी के बाद आईडीवी, यानी वीटी-आईडीवी, जेट के लिए यह वीटी-जेएमवी है। याचिका में आगे कहा गया है कि यह कोड यह दर्शाता है कि विमान को किस देश में पंजीकृत किया गया है और यह सभी देशों में अनिवार्य है। विमान के पंजीकरण को उसके पंजीकरण प्रमाणपत्र में दिखाना आवश्यक है और एक विमान का एक क्षेत्राधिकार में केवल एक पंजीकरण हो सकता है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि ब्रिटेन ने 1929 में सभी उपनिवेशों के लिए, जिसमें भारत भी शामिल था, उपसर्ग वीटी निर्धारित किया था। लेकिन चीन, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका जैसे देशों ने स्वतंत्रता के बाद अपने कॉल साइन्स कोड को बदल दिया था। जबकि भारत में, 93 साल बाद भी विमान पर यही कोड बना हुआ है, जो संप्रभुता, कानून के नियम (अनुच्छेद 14), स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 19) और गरिमा के अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन करता है। याचिका के अनुसार, यह नागरिकों की गरिमा के अधिकार को ठेस पहुंचाता है।
पंजीकरण अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार है और प्रत्येक विमान को यह निर्दिष्ट करना होगा कि वह किस देश और एयरलाइन से संबंधित है, एक अद्वितीय अल्फा-न्यूमेरिक कोड का उपयोग करके, जो पांच वर्णों का है, जो इंडिगो के मामले में है, वीटी-आईडीवी और जेट के लिए, यह वीटी- जेएमवी है। सरल शब्दों में, कॉल साइन या पंजीकरण कोड विमान की पहचान के लिए होता है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि भारतीय विमानों की पंजीकरण संख्या ब्रिटिश राज की विरासत को चिह्न्ति करती है। वीटी कोड औपनिवेशिक शासन का प्रतिबिंब है। भारत एक संप्रभु देश है इसलिए वायसराय टेरिटरी नहीं हो सकता है।
यह सवाल उठाया गया है कि आखिर भारत में अभी तक वीटी कोड क्यों जारी है? पंजीकरण कोड बदलने के सरकार के प्रयास निष्फल रहे हैं। 2004 में, उड्डयन मंत्रालय ने कोड बदलने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (कउअड) से संपर्क किया, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। यह 1929 में ब्रिटिश शासकों द्वारा हमें दिया गया एक कोड है, जो हमें ब्रिटिश क्षेत्र के रूप में दर्शाता है।
याचिका के अनुसार, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत ने आजादी के 75 साल बाद भी गुलामी के प्रतीक वीटी को बरकरार रखा है। वीटी कोड का प्रयोग यह दर्शाता है कि हम अभी भी विक्टोरियन टेरिटरी और वायसराय टेरिटरी हैं, लेकिन सरकार इसे बदलने या आजादी के 75 साल बाद भी प्रयास करने से इनकार करती है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि अधिकांश देश जो औपनिवेशिक दौर से गुजरे हैं, उन्होंने अपने औपनिवेशिक संकेतों से छुटकारा पा लिया है और अपना नया कोड अपना लिया है। इसमें आगे कहा गया है कि वीटी गर्व का प्रतीक नहीं बल्कि शर्म की बात है, अगर हम अपने देश की आजादी के बाद भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा शासित अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार कॉल कोड का प्रदर्शन अनिवार्य है, जो निर्दिष्ट करता है कि प्रत्येक राष्ट्र के प्रत्येक विमान को एक अद्वितीय अल्फा-न्यूमेरिक कोड का उपयोग करके उस देश का नाम निर्दिष्ट करना होगा जिससे वह संबंधित है। पांच अक्षरों वाले कोड में दो अक्षर होने चाहिए, यानी देश का कोड (भारत के मामले में वीटी) और बाकी दर्शाता है कि उक्त विमान कौन-सी कंपनी का है।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि 27 नवंबर,1927 को वाशिंगटन में हस्ताक्षरित वाशिंगटन के अंतर्राष्ट्रीय रेडियोटेलीग्राफ कन्वेंशन के दौरान भारत को कॉल साइन वीटी सौंपा गया था। भारत की तरह हर देश में विमान की पहचान के लिए एक या दो अक्षर का अल्फान्यूमेरिक कोड होता है। जैसे अमेरिका के पास एन है, यूके में जी है, यूएई में ए6 है, सिंगापुर में 9वी है, इत्यादि। सीआईए डॉट जीओवी की वेबसाइट में रखी गई वल्र्ड फैक्टबुक के मुताबिक, ये कोड नागरिक विमानों की राष्ट्रीयता का संकेत देते हैं।
(आईएएनएस)
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