धर्मांतरण करने पर दलित समुदाय को नहीं मिलेगा आरक्षण, इस राज्य में पेश होगा नया बिल
जल्द बनेगा नया कानून धर्मांतरण करने पर दलित समुदाय को नहीं मिलेगा आरक्षण, इस राज्य में पेश होगा नया बिल
- अब तक ऐसा बिल पेश नहीं किया गया है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर अक्सर चर्चा होती है। कुछ लोग इसका सपोर्ट करते है तो, कुछ इसका विरोध। लेकिन, इस बार कर्नाटक सरकार एक अलग ही तरीके का धर्मांतरण विरोधी कानून बनाने की तैयारी कर रही है। राज्य सरकार जल्द ही ये बिल विधानसभा में पेश करेगी, जिसमें अनुसूचित जाति यानी एससी समुदाय के उन लोगों को आरक्षण के लाभ से वंचित रखने का प्रावधान किया जा सकता है जो दूसरे धर्म को अपना लेंगे।
इस नए कानून पर फिलहाल चर्चा चल रही है। अब तक ऐसा बिल पेश नहीं किया गया है। प्रस्तावित कानून की मानें तो, एक बार जो व्यक्ति धर्मांतरण कर लेगा उसे उसके नए धर्म के अनुसार पहचाना जाएगा। लेकिन, अब तक इस बात को स्पष्ट नहीं किया गया है कि, धर्म परिवर्तन करने वालों को वो सुविधाएं मिलेंगी या नहीं जो, अल्पसंख्यक समुदाय को मिलती है।
अनुसूचित जनजातियों के लिए नहीं बदलेगा कानून
इस कानून के दायरें में फिलहाल अनुसूचित जाति यानी एससी समुदाय को ही रखा गया है। अनुसूचित जनजातियों को धर्मांतरण के बाद भी आरक्षण का पूरा फायदा मिलेगा। क्योंकि वो जनजाति है जाति नहीं। हालांकि इस बिल के हर एक पहलू पर विचार-विमर्श किए जा रहे है। कर्नाटक सीएम बसवाराज बोम्मई के अनुसार, इस बिल को लेकर पहले कैबिनेट से सलाह ली जाएगी। उसके बाद ही विधानसभा में ये पेश होगा।
विधानसभा सत्र हो चुका है शुरु
बता दें कि, कर्नाटक में सोमवार से ही विधानसभा का सत्र शुरु हो चुका है और अब ये दस दिनों तक चलेगा। सीएम बोम्मई ने संवाददाताओं से कहा कि, ""कानून विभाग मसौदा नियम का अध्ययन कर रहा है। राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद विधानसभा सत्र में इसे पेश किया जाएगा।"" माना जा रहा है कि, ये बिल सिर्फ जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कार्यवाई की बात करता है। बल्कि अपनी मर्जी से करने वालों की नहीं।