'जेल में पुलिस ने क्या-क्या नहीं किया, याद आता है तो रूह कांप जाती है'

'जेल में पुलिस ने क्या-क्या नहीं किया, याद आता है तो रूह कांप जाती है'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-23 01:26 GMT

डिजिटल डेस्क, गुरूग्राम। प्रद्युम्न मर्डर केस में आरोपी बनाए गए कंडक्टर अशोक को पुलिस ने बुधवार को रिहा कर दिया। 75 दिन भोंडसी जेल में बिताने के बाद अशोक को जेल के पिछले गेट से बाहर निकाल घर भेज दिया गया। जब अशोक जेल से निकलकर बाहर आया तो उसकी हालत ठीक नहीं थी। उसने मीडिया से बातचीत में बताया कि जेल में उसे किसी तरह की परेशानी नहीं हुई, लेकिन पुलिस हिरासत के दौरान उसने जीते जी जो सहा है वो किसी नरक से कम नहीं था। उसे इस कदर टॉर्चर और परेशान किया गया कि जब भी वो सब बाते याद आती है तो रूह कांप जाती है। 

गुरूग्राम पुलिस पर रत्ती भर भरोसा नहीं


अशोक ने कहा कि पुलिस हिरासत के दौरान मैंने जीते जी नरक भोग लिया है। मुझे इस कदर टॉर्चर किया गया कि अब सब सोचते हुए भी रूह कांपती है। पुलिस का ऐसा भयानक चेहरा वो कभी नहीं भूल सकता। पुलिस पर अशोक और उसके परिवार वालों का भरोसा इस कदर उठ या है कि रिहाई के बाद वो पुलिस की गाड़ी से घर आने के लिए तैयार नहीं हुए।

पत्नी ने कहा, प्रद्युम्न की मौत का दुख है


पति के घर आने की खुशी में अशोक की पत्नी ममता ने कहा कि वो बेहद खुशी है, लेकिन उसे प्रद्युम्न की मौत का भी उतना ही दुख है। ममता ने बताया कि पुलिस ने मेरे पति को बहुत मारा है। उसे उल्टा लटकाकर मारा गया, ताकि वो जुर्म कबूल कर ले। इतना ही नहीं पुलिस ने गुनाह कबूलने के लिए उसे नशा भी दिया। ममता ने सीबीआई का धन्यवाद करते हुए कहा कि सीबीआई के कारण ही उनका पति आज घर पर है। इस पूरे मामले में अब सीबीआई की जांच सही दिशा में जा रही है और हमें पूरी उम्मीद है कि सीबीआई जांच पूरी कर दोषी को जल्द ही सजा दिलाएगी।

गौरतलब है कि़ बुधवार शाम 7 बजकर 11 मिनट पर अशोक को जेल के कादरपुर रोड स्थित पिछले गेट से छोड़ा गया। पुलिस चाहती थी कि वो अशोक को भोंडसी एसएचओ की सरकारी गाड़ी से घर तक छोड़े लेकिन जेल में मौजूद अशोक के परिजन और वकील मोहित वर्मा ने इस पर हामी नहीं भरी। उन्होंने कहा कि अब हमे गुड़गांव पुलिस पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। इसके बाद अशोक को सफेद रंग की स्कॉर्पियो में चेहरा ढंककर ले जाया गया। 
 

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