राम जन्मभूमि विवाद: फिर मध्यस्थता से सुलझाने का उठा मामला
राम जन्मभूमि विवाद: फिर मध्यस्थता से सुलझाने का उठा मामला
- अयोध्या विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई
- सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा मध्यस्थता चाहता है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राम जन्मभूमि विवाद केस काफी रोचक होते जा रहा है। हिंदू और मुस्लिम पक्ष कोर्ट के बाहर बातचीत से मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को एक पत्र भी लिखा है। अयोध्या मामले में 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच रोज सुनवाई कर रही है। पहले भी एक मध्यस्था पैनल बनाया गया था, जो किसी नतीजे तक नहीं पहुंचा।
मध्यस्थता पैनल में तीन लोग
पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले को हल करने एक पैनल बनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए जो पैनल बनाया था, उसमें तीन लोग शामिल थे। इसमें सुप्रीम कोर्ट के जज एफएम कलीपुल्ला, वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू और श्री श्री रविशंकर का नाम था।
पांच जजों की पीठ कर रही सुनवाई
मध्यस्थता पैनल द्वारा कोई हल नहीं निकले पर कोर्ट में रोजाना अयोध्या मामले में सुनवाई शुरू हुई। इसपर हिंदू पक्ष अपनी दलीले दे चुका है। अब मुस्लिम पक्षा अपनी दलीलें रख रहा है। पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। जिसमें न्यायाधीश एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इसके अध्यक्ष हैं।
जमीन के मालिकाना हक की मांग
अबतक सुन्नी वक्फ बोर्ड जमीन के मालिकाना हक की मांग करता आ रहा है। अब उसने पत्र लिख इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाने की पेशकश की है। वहीं निर्वाणी अखाड़े ने भी पत्र लिखकर बातचीत के जरिए इस मुद्दे को हल करने की इच्छा जाहिर की है। इससे पहले उलेमा ए हिंद के कट्टरपंथी स्टैंड और राम जन्मभूमि न्यास के विवादित स्थल पर मंदिर बनाने की मांग को लेकर बातचीत बिगड़ गई थी। बात बिगड़ने से पहले दोनों पक्ष करीब-करीब अंतिम निर्णय पर आ गए थे। जहां मुस्लिम पक्ष विवादित स्थल का दावा छोड़ने वाला था, वहीं मुस्लिमों को मस्जिद निर्माण के लिए दूसरी जगह और फंड दिया जाना था।