राम जन्मभूमि विवाद : SC में हिंदू पक्ष के वकील बोले- जमीन विवाद की तरह सुना जाए केस
राम जन्मभूमि विवाद : SC में हिंदू पक्ष के वकील बोले- जमीन विवाद की तरह सुना जाए केस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राम जन्मभूमि विवाद पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से इस मामले को जमीन विवाद की तरह सुनने की अपील की। उन्होंने कहा कि केस को राजनीतिक और धार्मिक रंग देने वाले सभी दलीलों को पीछे छोड़ इस मामले को जमीन विवाद की तरह सुना जाना चाहिए। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से मामले की पैरवी कर रहे सीनियर एडव्होकेट राजू रामचंद्रन ने कहा कि ये मसला बहुत ही महत्वपूर्ण है इसलिए इस मामले को संवैधानिक बेंच के पास भेज जाना चाहिए। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 15 मई तय की है।
हरीश साल्वे की दलील
वकील हरीश साल्वे ने इस मामले में हिंदू पक्ष की पैरवी करते हुए कहा कि इस मामले की सुनवाई में हर बार 1992 के बाबरी विध्वंस का मामला उठाया जाता है। 1992-93 की उन घटनाओं से देश काफी आगे निकल चुका है। इस मामले को अब धार्मिक और राजनीतिक रंग न देते हुए एक जमीन विवाद की तरह सुना जाना चाहिए।
Ayodhya Case: Lawyer Harish Salve had submitted in Supreme Court "we are beyond 1992-1993. All that remains is a title dispute over property. It should be decided just like a title suit, and not on other grounds"
— ANI (@ANI) April 27, 2018
राजू रामचंद्रन की दलील
सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से वकील राजू रामचंद्रन ने कोर्ट में दलील दी कि ये मसला बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह मामला महज अयोध्या तक सीमीत नहीं है। इसकी संवेदनशीलता देश के दूसरे हिस्सों में भी कानून व्यवस्था प्रभावित कर सकती है। इस केस से देश के दो धार्मिक समुदाय की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। इसलिए इसे बड़ी संवैधानिक बेंच द्वारा सुना जाना चाहिए।
Ayodhya case- Lawyer Raju Ramchandran, appearing for Sunni Waqf Board submitted to the Supreme Court that the matter be referred to a larger constitutional bench. Ramachandran further submitted that the issue needs larger consideration keeping in view that it is a national issue
— ANI (@ANI) April 27, 2018
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया था यह फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया था। फैसले में कोर्ट ने विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटा था। कोर्ट ने एक हिस्से को राम लला की जन्मभूमि माना था, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को और एक हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड मे बांटने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इसमें से कोर्ट ने 32 याचिकाओं को खारिज किया था और 13 पर फिलहाल सुनवाई चल रही है।
राम जन्मभूमि विवाद
अयोध्या में मुगल बादशाह बाबर द्वारा बनाई गई बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को हिंदू कारसेवकों ने तोड़ दिया था। हिंदू संगठन हमेशा से मस्जिद की जगह को रामलला की जन्मभूमि मानते आ रहे हैं। हिंदू संगठनों का कहना है कि मस्जिद को भगवान राम का मंदिर तोड़कर बनाया गया है। यह मामला भारत को आजादी मिलने से पहले से ही चला आ रहा है।