अमरिंदर के खिलाफ नाराजगी बढ़ी, सिद्धू की ताजपोशी की अटकलों के बीच ये बात बन सकती है रोड़ा?

पंजाब कांग्रेस अमरिंदर के खिलाफ नाराजगी बढ़ी, सिद्धू की ताजपोशी की अटकलों के बीच ये बात बन सकती है रोड़ा?

Bhaskar Hindi
Update: 2021-08-25 12:41 GMT
अमरिंदर के खिलाफ नाराजगी बढ़ी, सिद्धू की ताजपोशी की अटकलों के बीच ये बात बन सकती है रोड़ा?
हाईलाइट
  • पंजाब कांग्रेस में कलह
  • किसे मिलेगी कमान?

डिजिटल डेस्क, पंजाब। नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनते ही पंजाब में उथलपुथल का दौर जारी हो गया है। खबर है कि वहां कैबिनेट मंत्रियों ने ही अपने मुखिया यानि कि अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वैसे तो प्रदेश प्रभारी हरीश रावत ये साफ कर चुके हैं कि अगला चुनाव अमरिंदर सिंह की अगुवाई में ही लड़ा जाएगा। इसके बावजूद कैप्टन कैबिनेट के कुछ मंत्री रावत से मुलाकात करने सीधे देहरादून ही पहुंच गए। जहां रावत मौजूद थे। उसके बाद बंद कमरे में लंबी बैठक भी चली। रावत ने ये दावा भी किया कि पार्टी आलाकमान कोई न कोई हल निकाल ही लेंगे।

 

इसके बावजूद ये अटकलें तेज हैं कि पंजाब का नेतृत्व बदल सकता है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के पास नया चेहरा कौन सा है। जिसकी ताजपोशी बतौर मुख्यमंत्री हो सके। फिलहाल इस रेस में सबसे आगे सिद्धू ही नजर आ रहे हैं। क्या वे पंजाब के अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं। इन अटकलों के बीच राजनीतिक जगत में ये तकाजे भी होने लगे हैं कि क्या सिद्धू को कांग्रेस कुर्सी सौंप सकती है। इस सोच के पीछे कई कारण हैं कुछ सिद्धू के पक्ष में तो कुछ सिद्धू पर भारी।


राहुल गांधी से करीबी!

ऐसा माना जा रहा हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी हैं। सिद्धू बीजेपी से आये हैं  फिर भी मोदी के खिलाफ जबरदस्त विरोध के सुर अख्तियार करते हैं। जिसको लेकर राहुल गांधी काफी खुश बताए जाते हैं। दूसरा कैप्टन और राहुल गांधी के बीच जनरेशन गैप भी बड़ी वजह बनकर सामने आ रही है। वैसे भी राहुल गांधी हमेशा युवा नेतृत्व की बात पर जोर देते रहे हैं। ऐसे में सिद्धू के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद उनकी लोकप्रियता बढ़ी है और माना जा रहा है कि सिद्धू के पाले में आधे से अधिक विधायक हैं। 

अकालियों के खिलाफ आक्रामक 
नवजोत सिंह सिद्धू अकालियों के खिलाफ शुरू से आक्रामक दिखते रहे हैं। इसके विपरीत अमरिंदर सिंह ने हमेशा नरम रुख अपनाया है। 10 साल के शासन में अकाली हमेशा कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर मुकदमे दर्ज करवाने में तेजी दिखाते थे। कांग्रेस सत्ता में आने के बाद उन मुकदमों को वापस नहीं ले सकी। जिसको लेकर कार्यकर्ताओं में आज भी काफी रोष हैं। 

जट सिख और हिंदुओं में लोकप्रिय
पंजाब की राजनीति में सिद्धू के लिए सबसे बड़ा प्लस पॉइंट यह है कि वे जट सिख हैं। पंजाब की कुल आबादी में जट सिखों की संख्या करीब 25 प्रतिशत है। इसलिए यहां की राजनीति में सफल होने के लिए अब जट सिख होना सिद्धू के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। 

करतारपुर साहिब कॉरिडोर
इमरान खान के पाकिस्तान के पीएम बनने और उनसे मुलाकात के लिए पाकिस्तान जाने के बाद से सिद्धू करतारपुर कॉरिडोर का क्रेडिट लेने की पूरी कोशिश करते रहे हैं। सिद्धू का कहना था कि वे पाकिस्तान में करतारपुर कॉरिडोर के लिए सबको सहमत कर रहे थे। बाद में करतारपुर कॉरिडोर के क्रेडिट को लेकर भी बीजेपी-शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस में खूब आरोप-प्रत्यारोप हुए। पर करतारपुर कॉरिडोर को शुरू करवाने का असली क्रेडिट लेने में नवजोत सिंह सिद्धू कामयाब रहे।

कैप्टन अमरिंदर की उम्र
कैप्टन अमरिंदर की उम्र अब 79 साल के करीब हो चुकी है। इस उम्र में लोग राजनीति से संन्यास ले लेते हैं। पिछले चुनावों के समय ही उन्होंने अपनी अंतिम पारी की बात पर वोट मांगा था। अगर उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाता है और वे पार्टी को चुनाव जितवाने में सफल भी होते हैं तो भी उन्हें नेतृत्व करने का मौका मिलेगा या नहीं यह कहा नहीं जा सकता है।

सिद्धू के लिए पंजाब में सहानुभूति
कैप्टन अमरिंदर जितने हमले सिद्धू पर करते रहे हैं, उसमें असुरक्षा का भाव दिखता रहा है। इसके अलावा सिद्धू को कोई भी ओहदा देने में कैप्टन हमेशा आड़े आते रहे। उन्हें कैबिनेट में पद देने के बाद भी अधिकार नहीं दिए। बाद में कैप्टन ने अमरिंदर को नॉन परफार्मर कहकर मंत्रीमंडल से एक मंत्रालय वापस भी ले लिया। सिद्धू को इन सब बातों के लिए पंजाब की जनता से सहानुभूति मिलती रही है।

सिद्धू की खामियां
सिद्धू के पक्ष में बहुत से प्वाइंट्स हैं तो खामियां भी बहुत हैं। सिद्धू हमेशा अपने बड़बोलेपन की वजह से विवादों का शिकार रहे हैं। हाल ही में उनके एक सलाहकार मलविंदर सिंह माली के एक कार्टून शेयर करने के बाद फिर सिद्धू विवादों में घिर गए। सिर्फ इतना ही नहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने तजुर्बे और मैनेजमेंट के जरिए हर बार पार्टी को ये यकीन दिलाते हैं कि पंजाब के लिए उनसे मुफीद चेहरा कोई नहीं है। जबकि सिद्ध इन्हीं मोर्चों पर कैप्टन के सामने गच्चा खाते नजर आते हैं। अब एक बार फिर उथलपुथल का दौर है। देखना ये है कि इस बार कांग्रेस कैसे किसी नतीजे पर पहुंचती है। 
 

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