फैसले के परिणाम से दूरी: अपने साक्षात्कार में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया अयोध्या पर सुको फैसले में जज का नाम क्यों नहीं?
- सुप्रीम कोर्ट की बैंच से पारित ऐतिहासिक फैसलों पर बोले सीजेआई
- जजों के लिए फैसला करना कभी भी व्यक्तिगत नहीं होता
- संविधान और कानून के अनुसार होता हैं फैसला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बीते कुछ सालों में लिए फैसलों का जिक्र देशभर में खूब हो रहा है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट की बैंच से पारित ऐतिहासिक फैसले राम मंदिर,समलैंगिक शादियों को कानूनी रूप से वैध मानने, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने जैसे मामलों के साथ साथ उनसे जुड़े फैसलों, उनके अलग-अलग पहलुओं पर विस्तार से बात की। इसमें सबसे प्रमुख अयोध्या राम मंदिर फैसले में जजों का नाम क्यों नहीं? को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक साक्षात्कार में सोमवार 1 जनवरी को अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि अयोध्या मामले में न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया था कि फैसला किसने लिखा है, उसका उल्लेख नहीं होगा। अदालत के फैसले में किसी लेखक की भूमिका तय नहीं की जाएगी। सीजेआई ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए अपने साक्षात्कार में कहा कि संघर्ष के लंबे इतिहास और विविध दृष्टिकोणों पर फोकस करते हुए, अयोध्या मामले में टॉप कोर्ट ने एक स्वर में फैसला सुनाने का निर्णय लिया था।
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में समलैंगिक विवाह पर टॉप कोर्ट के फैसले पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, अदालतों की पीठ में शामिल जजों के लिए फैसला करना कभी भी व्यक्तिगत नहीं होता, कोई पछतावा भी नहीं होता। उन्होंने कहा, वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खूबियों पर टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि समलैंगिक जोड़ों को अपने अधिकार हासिल करने के लिए 'लंबी और कठिन लड़ाई' लड़ी, इसे स्वीकार करना होगा। सीजेआई ने आगे कहा कि मैं किसी भी मामले में फैसला हो जाने के बाद उसे वहीं छोड़ देता हूं। और उसके परिणाम से दूरी बना लेता हूं। आपको बता दें समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा देने से अदालत ने इनकार कर दिया था। हालांकि, 17 अक्टूबर को सुनाए गए फैसले में सुुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकार और उनकी सुरक्षा को मान्यता दी।
सीजेआई ने जम्मू-कश्मीर से निरस्त किए संविधान के अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के सर्वसम्मत फैसले पर विवाद को और हवा देने से इनकार कर दिया। सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीश किसी मामले का फैसला संविधान और कानून के अनुसार करते हैं। उन्होंने पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के फैसले पर भी बात की।