पराली की चिंता: देश की राजधानी को सर्दियों में प्रदूषण से कैसे बचाया जाएगा? सुप्रीम कोर्ट ने किया सवाल

  • सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता
  • सीएक्यूएम के अध्यक्ष को मिला आदेश
  • क्या हो सकता है प्रदूषण का मुख्य कारण?

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-28 06:24 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर में हर साल सर्दियों में प्रदूषण से बुरा हाल होने लगता है। साथ ही लोगों को सांस से संबंधित कई बिमारियां होने लगती हैं। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सरकार से इससे पहले की तैयारियों के बारे में पूछा है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कंट्रोल के लिए वायु गुणवत्ता प्रंबधन आयोग को यह बताने के लिए कहा है कि सर्दियों में प्रदूषण में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी से कैसे छुटकारा मिलेगा। वो भी तब जब इस समय एनसीआर के राज्यों में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नहीं है।

प्रदूषण की प्रमुख वजह हो सकती है ये

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, पंजाब, यूपी, हरियाणा और राजस्थान के प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को उच्च स्तर पर कर्मचारियों की कमी की वजह से उन्हें अप्रभावी करार देते हुए कहा कि अप्रैल, साल 2025 तक सभी खाली पोजिशन्स को भराया जाए। जिसपर जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि सर्दियां आने वाली हैं। पराली जलाने व अन्य वजहों से प्रदूषण बढ़ सकता है।

सीएक्यूएम के अध्यक्ष को सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

वहीं हर साल दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों में धान की पराली जलाने को प्रमुख कारण वजह बताया जा रहा है। लेकिन जब एनसीआर से संबंधित राज्यों में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड में पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं तो समस्या से कैसे निपटा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसलिए ही सीएक्यूएम के अध्यक्ष को आदेश देते हुए कहा है कि मामले की अगली सुनवाई दो सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की मदद से पेश होना है। जिसमें उन्हें अपनी योजना के बारे में बताना होगा। पीठ ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि प्रदूषण कंट्रोल बोर्डों में रिक्त पदों के कारण प्रतिनिधित्व की कमी की वजह से आयोग की तरफ से गठित की जाने वाली सुरक्षा और प्रवर्तन उप-समिति कैसे काम करेगी।

निर्देश लागू कराना हो सकता है मुश्किल

इस मामले में न्याय मित्र अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने राज्यों के प्रदूषण बोर्डों में खाली पदों के बारे में पीठ को जानकारी दी। अपराजिता सिंह ने कहा कि सितंबर आने वाला है और जल्द ही पराली जलाने और प्रदूषण की समस्याएं सामने आएंगी। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ऐसे में बोर्डों में कर्मचारियों के कम होने की वजह से आयोग के निर्देशों को लागू करना मुश्किल हो सकता है। 

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