ब्रेक पर लगा ब्रेक: नमाज ब्रेक पर गर्माई सियासत, तेजस्वी यादव के निशाने पर असम के सीएम, हिमंता को बताया योगी की 'चायनीज कॉपी'!
- नमाज ब्रेक को लेकर तेजस्वी यादव का बयान
- किसने शुरू किया था नमाज ब्रेक?
- कौन थे सैयद सादुल्लाह?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जुमे के दिन नमाज पढ़ने के लिए नमाज ब्रेक मिलता है। असम विधानसभा में इस पर रोक लगाए जाने पर पूरे देश में पॉलिटिक्स तेज हो चुकी है। वहीं बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा को यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का चाइनीज वर्जन कह दिया है। उन्होंने कहा है कि हिमंता बिस्वा सरमा सस्ती लोकप्रियता को पाने के लिए ऐसे फैसले ले रहे हैं। तेजस्वी यादव ने ये भी स्पष्टता के साथ कहा है कि जब तक हम लोग हैं, मुसलमानों का कोई कुछ भी नहीं कर सकता है।
राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत के दौरान भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के लोग मुसलमानों को सॉफ्ट टार्गेट बना रहे हैं। कभी वक्फ बोर्ड फिर सीएए तो कभी एनआरसी पर बिला लाया जा रहा है। किसी भी तरीके से मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है। साथ ही देश में भाजपा नफरत फैलाना चाहती है।
तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि देश की आजादी में सभी लोगों ने योगदान दिया है। मुसलमानों ने भी कुर्बानी दी थी। इस बात को कोई भी इग्नोर नहीं कर सकता है। संविधान में हर धर्म को समानता और मान्यता का अधिकार है। मुसलमानों से कोई भी ये अधिकार नहीं ले सकता है।
क्यों लगाया गया नमाज में ब्रेक?
विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय के एक बयान में कहा गया है कि शुक्रवार को मुस्लिम विधायकों के नमाज अदा करके वापस आने पर दोपहर भोज के बाद सदन की कार्यवाही दोबारा से शुरू होती थी। जिसके चलते नमाज ब्रेक वाले दो घंटों को खत्म कर दिया गया है।
किसने शुरू की थी नमाज ब्रेक?
नमाज ब्रेक 1937 में मुस्लिम लीग के मुहम्मद सादुल्लहा ने शुरू की थी। इसका एक ही मुख्य उद्देश्य था जो था मुसलमानों को नमाज के लिए छुट्टी देना था। जिसके बाद अब असम के सीएम हिमंता बिस्वा ने दो घंटे की जुम्मा नमाज की ब्रेक को खत्म कर दिया है। जिसके साथ विधानसभा ने उत्पादकता को प्राथमिकता दी है। बता दें ये प्रथा मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला ने इसकी शुरूआत 1937 में की थी।
कौन थे सैयद सादुल्लाह?
सादुल्लाह का जन्म साल 1885 में गुवाहाटी में हुआ था। उन्होंने वहां से कॉटन कॉलेज और कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की थी। मुहम्मद सादुल्ला असम में मुस्लिम लीग के नेता थे। साथ ही अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें साल 1928 में ब्रिटिश सरकार से नाइटहुड की उपाधि भी मिली थी। 1936 में सादुल्लाह ने गैर-कानूनी दलों के साथ गठबंधन करके ब्रिटिश इंडिया में असम के पहले सीएम बने थे। वहीं साल 1938 में अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।